Kavita Chandrashekhar Azad
Kavita Chandrashekhar Azad

चंद्रशेखर आजाद

( Chandrashekhar Azad )

आजादी का दीवाना चंद्र उसने सौगंध खाई थी
अंग्रेजी हुकूमत की जिसने सारी जड़े हिलाई थी

 

क्रांति काल में क्रांतिवीर गोला बारूद में चलते थे
आजादी के दीवाने जब बांधे कफन निकलते थे

 

चंद्रशेखर आजाद भगतसिंह राजगुरु से लाल हुए
राष्ट्रधारा में देशभक्त वो क्रांतिकारी कमाल हुए

 

हंसते-हंसते झूल गए जो फांसी के फंदे चूमे थे
आजादी के परवाने जब देशभक्ति में झूमे थे

 

दिल्ली दहल गई सारी जेलों में जोश दिखा देते
अंग्रेजी शासन में योद्धा गोरों के होश उड़ा देते

 

आजाद हूं आजाद रहूंगा आजाद मुझको मरना है
आजादी की खातिर मुझे सीने पर गोली धरना है

 

तीर बनूं तलवार बनूं राणा का चेतक हूं भाला हूं
आजादी का मतवाला मैं प्रलयंकारी ज्वाला हूं

 

वंदे मातरम गूंज उठा जेलों की गलियारों में
चंद्रशेखर आजाद रहा वतन के अखबारों में

 

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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