धरती के भगवान | Kavita dharti ke bhagwan
धरती के भगवान
( Dharti ke bhagwan )
आज धरा पर उतर आए धरती के भगवान।
मारना नहीं काम हमारा हमतो बचाते जान।
जीवनदाता जनता का कातिल कैसे हो सकता है।
जान फूंके मरीज में अन्याय कैसे सह सकता है।
राजनीति का मोहरा सतरंजी चाले मत खेलो।
जिंदगी देने वाले को मौत के मुंह में मत धकेलो।
दोषी को जब दंड मिले तो दरबारों की जय होगी।
अन्याय विरुद्ध लड़ने वालों की सर्वदा जय होगी।
शांतिदूत ये सेवाभावी सबके प्राण बचाने को।
कोरोना में कूद पड़े रण में जौहर दिखलाने को।
धन नहीं सम्मान चाहिए धरती के भगवान को।
दानव नहीं इंसान चाहिए धरा पर गुणवान हो।
कर्म की पूजा होती सदा सुपथ के अनुगामी है।
कर्मवीर यश कीर्ति पाते हस्तियां यहां पे नामी है।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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