ईंट की दीवारें | Kavita Eent ki Deewaren

ईंट की दीवारें

( Eent ki Deewaren )

जब तक है जीवन जगत में
वक्त का दौर तो चलता रहेगा
बंटी है रात और दिन में जिंदगी
ये चक्र तो यूँ ही चलता रहेगा

मिलेंगे रेत के टीले हर जगह
कहीं पर्वतों का झुंड होगा
होगी कहीं कहीं खाईं गहरी
कहीं खौलता कुआं होगा

कट न सकेगा सफर तनहा
मोड़ हैं रास्ते में बेइंतहा
होगा सरल ये साथ चलकर ही
रह जायेंगे वरना हम यहाँ वहाँ

ईंट की दीवारें रहेंगी तोड़तीं
दिल की उचाई से ही जीत होगी
रिश्ते हि होंगे साथी अनमोल
बंटवारे मे खोखली भीत होगी

वक्त पर ही समझ लो वक्त को
फिर वक्त भी साथ देगा नहीं
निकल गया जो आज हाथ से
फिर हाथ का भी साथ होगा नहीं

Mohan

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

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