Kavita Ek Aah

एक आह | Kavita Ek Aah

एक आह

( Ek aah ) 

 

एक आह भरी होगी हमने न सुनी होगी।
दर्द की दास्तां दिल से वो बयान कर गई।

आग कहीं जली होगी हमने न देखी होगी।
दिलजलो से बेखबर फिर आंख भर गई।

आरजू कहीं पली होगी हमने न कहीं होगी।
दिल की धड़कनें दिल तक दस्तक दे गई।

मुश्किलें भी रही होगी हमने ना सही होगी।
हौसलों की उड़ानें भी आसां सफर कर गई।

बाधाएं लाख रही होगी हमको न खली होगी।
सुहानी प्यार की बातें हमें धड़कने कह गई।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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