Palanhar par Kavita
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वो है सबका पालनहार

( Wo hai sabka palanhar )

 

एक वो ही है सबका पालनहार,
प्रभु परमपिता एवम् तारणहार।
हर कण-कण में आप विद्यमान
दुष्टों का करते हो पल में संहार।।

श्री राम बनकर रावण को मारा,
और कृष्ण बनकर कंस पछाड़ा।
तुम्हारी माया का पाया नही पार,
लिया तुमने ही नरसिंह अवतार।।

जन्म-मरण के सारे खेल रचाएं,
धरती पे आकर प्रत्यक्ष दिखाए।
जैसे कर्म करें वो वैसे फल पाएं,
नारायण स्वयं नर-रुप धर आए।।

जिसने मन से लिया ईश्वर नाम,
उसका बना है हर बिगड़ा काम।
उसके नाम अनेंक पर रुप एक,
वो है ब्रह्मा विष्णु और यें महेश।।

एक वो ही है सबका पालनहार,
जो देख रहा सभी का व्यवहार।
मालिक किसको निर्धन बनाना,
कौन- कैसा चला रहा कारोबार।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

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