Kavita | एक पेड़
एक पेड़
( Ek Ped )
कभी धूप कभी पानी मे ,देती हमें शीतल छाया ।
आजा आराम करले संगी ,चल रही मंद मंद हवा ।।
जब होती तेज धूप ,चिंता हमारी कम करती ।
मंजिल तक पहुँचने मे ,मदद हमारी हमेशा करती ।।
देती हमें कीमती चीजे ,कभी न स्वार्थ वो दिखलाती ।
दूर कर हमारी बैचेनी , नए सफर का दुआ देती ।।
शाखाये खुश होकर , हिलती तेज हवाओ मे ।
पत्तों का बिस्तर लगाकर ,जाते हम गहरी नींद मे ।।
दिखाती रंग बिरंगे सपने ,ले जाती परियो के बीच मे।
गहरी नींद की दवा , लगाती थके पांवो मे ।।
युगो युगो से प्रकृति मे ,जिसकी मौजूदगी पुरानी है ।
खड़ी है धरती मे आज भी , दम है बूढ़ी शाखाओ मे।।
देखा है मौसम का उतार चढाव, लपेट रखा है अपने ह्र्दय मे ।
बाढ आंधी और तूफान ,बिगाड न सका परिवर्तित जलवायु ।।
कुदरत के कहर से धरती ,विकराल रूप धारण करती।
तेज आंधी तूफान से ज्यादा ,इंसानो की अन्धाधुन्ध कटाई मारती ।।
विकास करने के लालच में, धरती को आकाश बनाती।
कम होता आक्सीजन स्तर , तेजी से बढ़ता प्रदुषित वायू ।।
जीवन है बहुपयोगी हमारा , लगाओ वृक्ष धरती पर सारा है।।
फल फुल जड़ तना पत्ती, अनमोल उपहार है तुम्हारा
जीवन सफल बनाना है, सबको एक पेड़ लगाना है।।