Kavita gyaan anamol khazana hai

ज्ञान अनमोल खजाना है | Kavita gyaan anamol khazana hai

ज्ञान अनमोल खजाना है 

( Gyaan anamol khazana hai )

 

ज्ञान अनमोल खजाना है

बांट सका है कौन इसे ?

 

न भाई बंधु जमाना है

अनमोल रतन है हर रत्नों में

 

पर इसको नहीं छुपाना है

ज्ञान की ज्योति जले घर-घर में

 

ज्योति से ज्योति जलाना है

घर-घर महके ज्ञान की खुशबू

 

ज्ञान का अलख जगाना है

ज्ञान बिना मानव जीवन भी

 

पशु सा खाकर मर जाना है

व्यवहार वचन संस्कार भला

 

 

बच्चों को खूब बताना है

क्या बचपन क्या बृद्धापन ?

 

न इससे हमें घबराना है

लूट सको तो लूट लो इसको

?
रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी
( अम्बेडकरनगर )

 

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