हिन्दी की बिंदी | Kavita Hindi ki Bindi
हिन्दी की बिंदी
( Hindi ki Bindi )
अंग्रेजी के लेटर भी रहते हैं साइलेंट।
हिन्दी की बिंदी भी बजा देती है बैंड।
एक बिंदी भी दिखाती है इतना कमाल।
शब्द के अर्थ में मचा देती है धमाल।
आसमां को उतार कर धरती में ला सकती है।
धरती को उठाकर आसमां में पहुंचा सकती है।
केसर को केंसर में बदल सकती है।
केंसर को केसर में बदल सकती है।
अजब-गजब है मेरे देश की हिंदी भाषा ।
कभी इससे बराबरी नहीं कर सकती है और कोई भाषा।
यह हिंदुस्तान की आन -बान -शान है।
यह हिंदुस्तानियों के लिए उनकी जान है ।
हिंदुस्तान को मिला हिंदी से ही पहचान है ।
यह करती आकर्षित सबका अपनी ओर ध्यान है ।
हुआ सहज इसी के कारण गीता रामायण है ।
विदेशी भी करने लगे अब इसका गुणगान है ।
T से त , T से ट ,D से द ,D से ड,
लेटर एक उच्चारण अनेक ,बड़ी दुविधा बड़ा जंजाल ।
हिंदी के अक्षर ,उच्चारण मिलाकर चलते हैं एक ही ताल में ताल ।
व्यंजनों में स्वरों की मात्रा जैसे श्री राम- लक्ष्मण दो भाई हैं।
दोनों के मेल – ताल से बन जाते अक्षर भी ढाई हैं ।
राधा – कृष्ण जी के शाश्वत संबंध को परिभाषित कर जो बताई है ।
सृष्टि में एक नया परिवर्तन जो लाई है।
हिंदी में भारत भूमि की सुगंध समाई है।
इतना सुंदर देश है मेरा हिन्दियों का हिंदुस्तान ।
जाने क्यों लोग बनाते हैं विदेशों में जाकर अपनी पहचान ।
इतनी सुंदर भाषा है मेरी हिंदी महान।
जाने क्यों लोग इसे छोड़ अंग्रेजी को देते हैं मान ।
थोड़ा इंग्लिश सीखकर बड़े स्मार्ट बन जाते हैं ।
आकर हिंदी वालों पर सीना तानकर तन जाते हैं ।
कितने हैं नासमझ लोग, कितने हैं नादान।
चढ़ा देते हैं बलि अपनी संस्कार, संस्कृति ,धर्म ,परिधान ।
मैं सभी से यह कर जोड़कर कहती हूं।
अपनी भाषा, अपना संस्कार ,अपनी संस्कृति, अपना परिधान ना छोड़े यूं।
इन सबका का करें सदा दिल से सम्मान ।
आज विदेशी जिसे अपना कर बन रहे हैं महान ।
फूंक दीजिए अगर फूंकना पड़े तो, इनके लिए अपना प्राण।
पर ना छोड़िए अपना हिंदी होने काअभिमान ।
हिंदी पर ही कीजिए अपना तन- मन- धन सब दान ।
स्मरण में रखिए सदा ये ,मेरा हिंदुस्तान, प्यारा हिंदुस्तान।
रचयिता – श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर छत्तीसगढ़