जोत जले मां | Kavita Jyot Jale Maa
जोत जले मां
( Jyot Jale Maa )
सजा दरबार निराला जोत जले मां अंबे ज्वाला।
सबके दुखड़े हरने वाली कर सोहे मां चक्र भाला।
कालरात्रि तू महागौरी तू कुष्मांडा चामुंडा माता।
ढाल खड्ग खप्पर वाली तू ही मां भाग्यविधाता।
तू ही काली तू महाकाली रणचंडी दुर्गा मतवाली।
दानव दलनी मां जगदंबे यश वैभव को देने वाली।
भर देती भंडार माता जीवन दो संवार माता।
भक्तवत्सला मां अंबे महका दो संसार माता।
आराधक साधक सारे जय जयकार लगाते तेरे।
जय जगदंबे जय मां अंबे मेटो सब दुखों के फेरे।
विजय का वरदान देती विपदाओं से निवार देती।
सब सिद्धियों की तुम दाता सुखों का भंडार देती।
दिव्य ज्योति जगमग सारी तुझको पूजे नर नारी।
सारे जगत की करतार तुम से ही मां सृष्टि सारी।
सुन लो पुकार माता दो हमें शक्ति अपार माता।
तेरा दर सबसे निराला सजा तेरा दरबार माता।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )