गाँव अराॅंई
( Gaon Arai )
एक कहावत बहुत ही पुरानी,
बावन फोर्ट छप्पन दरवाजा।
आभा नगरी चन्दवा था राजा,
जो था गाँव अराँई का राजा।।
वीर बहादूर और बलशाली,
सेना जिसकी करें रखवाली।
धन- धान्य से गाँव था सम्पन्न,
हीरे और मोती नही थें कम।।
कहते है यहाँ धन था अपार,
सुख सम्पन्न थें सभी परिवार।
कई बार यहाँ लूट डाका पड़ा,
गोरे ले गए थें सोने का घड़ा।।
आज भी है यह गाँव अराँई,
आस- पास मे कस्बा है अराँई।
बाहर से आते कमाने कई लोग,
मजदूरी एवं नौकरी करतें लोग।।
गाँय भैस बकरी और यह बैल,
पालते है यहां अधिकतर लोग।
दूध दही मक्खन और ये धान,
पैदा करते है यहां पर किसान।।
दूर- दूर तक यहां जमीन है कई,
नाडी कोड्या और तालाब कई।
चलें जाओ चाहें तुम बाहर कही,
भूलते नही कोई यह गाँव अराँई।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )