
कल्पना की उड़ान
( kalpana ki udaan )
कभी लड़को पर ना करना गुरुर,
ख़्याल रखें यही एक बात जरुर।
लालन-पालन करके किया बड़ा,
धूम-धाम से उसकी शादी किया।।
बिटियाॅं पे कोई दिया नही ध्यान,
कहतें रहें घर पर है बहुत काम।
मांँ के संग तुम करना सब काम,
पढ़ना नहीं ये लड़की का काम।।
लड़को को दिया बहुत ही प्यार,
रोज दिलातें है उसे ढ़ेर सामान।
लड़की घर में काम सभी करती,
भाई की किताबें छुपकर पढ़ती।।
मांँ सभी की आखिर में मांँ होती,
घर में पढ़ लो यही कहती रहती।
प्राईवेट दिलाया मांँ ने ये एग्जाम,
अव्वल करके किया उसने नाम।।
आज पिताजी के मिट गये भरम,
पढ़नें को भेजा खुल गया करम।
स्कूल कॉलेज किया उसने फस्ट,
आज कलेक्टर वह बनी है बेस्ट।।
नाम किया उसने गाँव और स्टेंट,
भूलना नहीं समझना दोनों बेस्ट।
कल्पना से लिखकर किऍं पोस्ट,
ख़्याल रखें पढ़ना है ऐसी पोस्ट।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )