मां- पिता | Kavita Maa Pita
मां- पिता
( Maa Pita )
मां जान है तो ,
पिता आत्मा है,
आत्मा जब रोती है तो ,
जान निकल जाती है।
जीने के लिए ,
मानव को चाहिए ,
माता-पिता का,
आशीष रूपी छांव ।
मां पिता है तो ,
जीवन का अस्तित्व है,
मां पिता नहीं है तो,
जीवन अस्तित्वहीन है।
मां पिता होते हैं ,
एक सीढ़ी की तरह ,
जिस पर चढ़कर हम,
जीवन को सफल बनाते हैं।
योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )