पावन पर्व हरितालिका तीज

( Pawan parv hartalika teej  ) 

 

हरितालिका के पावन पर्व पर हर नारी की यही कामना,
स्नेह प्यार मिलता रहे साथ निभाए सदा उसके सजना।

अपने पति में देखती वो छवि राधा मोहन श्याम की,
मांगती आशीष नाम अमर हो जैसे हुई सिया और राम की।

शिव शिवा की पूजा करके करती चरणों में नमन,
पति खुश रहें इसलिए करती हर संभव जतन।

हाथों में अपने पिया के नाम की मेहंदी वो रचाए,
करती सुरम्य श्रृंगार वही जो पिया मन भाए।

हरितालिका तीज के इस पावन त्यौहार में,
पत्नी करती निर्जला व्रत पति के प्यार में।

बिन पानी और भोजन बिना भी उसका चेहरा खिला,
पावन व्रत और पूजन का उसको सुंदर सा फल मिला।

देख के पत्नि का यह अनुपम त्याग और समर्पण,
पति हर्षित हो करे पत्नि के लिए सर्वस्व अर्पण।

हरितालिका तीज का यह पावन व्रत और पूजन जो करे,
शिव शक्ति के आशीष से उसका सिंदूर सुहाग सदैव अमर रहे।।

 

रचनाकार –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )

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