![मेघ मेघ](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2024/06/मेघ-696x497.jpg)
मेघ
( Megh )
मेघ तुम इतना भी ना इतराना
जल्दी से तुम पावस ले आना
बारिश की बूंद कब पड़ेंगी मुख पर,
तुम मेघ अमृत को जल्दी बरसाना ।।
तरस रहे सभी प्राणी ये जग जीवन
करते हैं तुम्हारा मिलकर अभिनंदन
आजाओ हम बाट निहारें कब से
मेघ मल्हार राग भी तुमसे ही सारे ।।
तुम्हारे आने से प्रिय बरखा रानी
गाना गाते सब मेघा ओ मेघा पानी,
कोयल कुके मधुर गाए ये पपीहा भी
मिलकर झूम वन उपवन सब प्राणी।।
आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश