मेरे मरने के बाद | Mere Marne ke Baad
मेरे मरने के बाद
( Mere marne ke baad )
बैठ जाना एक ही चादर पे मेरे मरने के बाद।
रख लेना तस्वीर मेरी पलायन करने के बाद।
आंसुओं को थामें रखना आएंगे दुख में काम।
बांट लेना तुम संपदा सारी जो भी है मेरे नाम।
याद आए जब भी मेरी मेरे मरने के बाद।
भूखे को भोजन पानी दे लेना आशीर्वाद।
दीपक जलाना चाहो तो ज्ञान का जला देना।
कोई मजबूर बालक शिक्षा तुम दिला देना।
रोशन करना जिंदगी अंधकार को हर लेना।
मानवता का धर्म निभा पुण्य कर्म कर लेना।
संभाले रखना बागडोर को मेरे मरने के बाद।
चैन की बंसी बजाना स्वर्ग सीधरने के बाद।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )