मेरा दोस्त मुझसे रूठा ऐसा | Kavita mera dost
मेरा दोस्त मुझसे रूठा ऐसा
आज फिर एक-बार हुआ ऐसा,
मेरा दोस्त मुझसे रूठा है ऐसा।
ना बोलकर गया न खबर दिया,
दिल के दुखः गम सब पी गया।।
चला गया मुझको ऐसे छोड़कर,
वापस नहीं आऍंगा वो लौटकर।
सेना में जीवन का खेल निराला,
कौन है खिलाड़ी कोई खिलौना।।
विचलित करती मुझें यही सोच,
देश रक्षक सच्चे सपूत की मौत।
मौत नही कहतें वह अमर हुआ,
देश के लिए बलिदान जो दिया।।
क्या ख़ूब उसने लिखा एक बार,
रिश्तो में गहरा है फौज परिवार।
जाऍंगे न कभी ऐसे छोड़ संसार,
कर देंगें जान वतन पर कुर्बान।।
यही एक शपत हर जवान लेता,
देश सेना में जब दाखिला लेता।
तुमने दोस्त नाम अमर कर दिया,
बुझा नही तू जलाकर गया दीया।।