मृत्यु

मृत्यु | Kavita Mirtyu

मृत्यु

( Mrtyu )

चाँदनी तारों भरी रात में
किसी देवदूत ने छू लिया ज्यूं कोई सितारा
आसमां से गोते लगाकर किसी ने ज्यूं
उसे हरी धरती की गोद में उतारा
कोई विशाल पक्षी ज्यूं ड़़रा रहा हो
हवा के रुख को
कुछ बादल के टुकड़े ज्यूं छिपा दें
सूरज कुछ पल को
नजरअंदाज कर दिया जीवन का मूल्यांकन
नजरअंदाज ना किया उद्देश्यों का मापन
तीर्थों से ऊबे हैं, आश्रय की तलाश में है
जीवन का हर मोड़ क्षितिज के कैनवास में है
बारिश इंद्रधनुष के रंगों की मस्ती बिखेरती है।
अंधेरी रात में डूबते तारों की रोशनी भी चमकती है
भावनाओं में जब परमानंद छलकने लगता है स्वर्गलोक की ऊंचाई को भी कम समझने लगता है
देवदूत के छूने से खिली हुई मीठी कुमुदिनी
ऊंघती धूप छाया में सो रही है
घास के मैदानों में मंदिर की घंटियों की ध्वनि शुभ क्षण सी प्रतीत हो रही है।
फिर भी सुख या दुःख के गीत यहां गाये जाते हैं
हम मरते हैं जबकि जीने के लिए बनाए जाते हैं

शिखा खुराना

शिखा खुराना

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *