श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष (कजरी)
श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष (कजरी)

श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेष (कजरी)

( Shri Krishna Janmashtami vishesh – Kajri )

 

जनमे देवकी के जब लाला
खुलिगा जेल का ताला ना …2 ll

 

हाथों से हथकड़ियां छूटी
मात पिता की बेड़ी टूटी
खुल गए पाप के बंधन सारे
आए जब नंदलाला ना….
जनमे देवकी ०…

 

सो गए सारे पहरेदार
खुल गए जेल के सातो द्वार
सोए सूप चले जगतारण
जग में करन ऊजाला ना….
जनमे देवकी०….

 

रात भयानक अतिशय कारी
बरसे मेघ नीर अति भारी
चमके बीच बीच जब बिजुरी
दर्शन मिले गोपाला ना…..
जनमे देवकी०…

 

आगे जमुना बहे अपार
कैसे हो वसुदेव जी पार
झट से कदम निकारी कान्हा
घटिगा वेग विशाला ना ….
जनमे देवकी ० ….

 

पहुंचे नंद बाबा के द्वार
करे वसुदेव जी सोच विचार
लेकर संग में प्रभु की माया
छोड़ चले रखवाला ना…..
जनमे देवकी०….

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कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

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