बचते बचते बचा हूं मैं,
सजते सजते बचा हूं मैं।
शुक्र है मौला इलाही तेरा,
टाल दिया जो अभी बुलावा मेरा।
जिंदगी बख्श दी जिंदगी की खातिर,
वरना यह समाज है बहुत ही शातिर!
फायदे को अपने बनाए सारे कायदे,
जीते जी जो ना निभा सके?
बादे वफात क्या निभाएंगे वायदे!
दर दर भटकने को मजबूर होते अपने,
जिनक लिए जाने क्या क्या देखे थे सपने?
शुक्रां खुदाया अता की मुझे जिंदगी नई,
अब फर्ज मेरा है करूं अदा सभी, सही सही।
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