नहीं घबराना है | Kavita Nahi Ghabrana Hai
नहीं घबराना है
( Nahi Ghabrana Hain )
समय कि दिशा व दशा को
देख नहीं घबराना है
हर स्थिति से लड़ते
आगे बढ़ते जाना है
नहीं रखना मन में किना
स्वच्छ सुंदर भाव जगाना है
निश्छल तन, मन से
राह पर बढ़ते जाना है
आज कठिन है तो कल सुलभ होगा
यही सोच कर चलते जाना है
हर कदम बढ़ाने से पहले
राह पर कांटे देख लेना है
रखना हैं त्रिनेत्र खुला
दिव्या दृष्टि आंहे भरना है
मुश्किल से मुश्किल घड़ी को
हंस के गले लगाना है
सुख सुविधा से वंचित होकर भी
कर्म पथ पर बढ़ते रहना है
एक दिन अच्छा होगा
यही सोच कर चलते जाना है
हार नहीं मानना हमें
मोती को धागे में पिरोते रहना है
आज नहीं तो कल आएगा अच्छा समय
यही सोचकर चलते रहना है
गंगा की पानी सा निर्मल
मिट्ठू कि आवाज सा मीठा बोलना है
मंत्र मुग्ध कर लें सामने वालों को
अंतर मन में यही भाव लिए चलना है
शुद्ध विचार सौम्या वानी
पुनीत कर्म पर बढ़ना है
हर विपदा से लड़ते-लड़ते
सफलता कि सीढ़ी चढ़ना है
जीवन की अंतिम कड़ी को
यही संदेश देना है
ना चुके हैं ना रुके हैं कभी
ना रुकने किसी को देना है
समय कि दिशा,,,,,
संदीप कुमार
अररिया बिहार