Kavita naye saal se nasha chhod dena
Kavita naye saal se nasha chhod dena

नए साल से नशा छोड़ देना

( Naye saal se nasha chhod dena ) 

 

आओ मिलकर जश्न मनाएं आज फिर से हम,
ऐसी चीज़ों का त्याग करें जिनमे लगती शर्म।
मांस मछली मदिरा मुर्गा इन सबको छोड़ें हम,
एक वर्ष फिर बीत गया करलो ये अच्छे कर्म।।

भूल जाना दुःख-भरी वो राते कर लेना हजम,
गगन तारे छू जाना करके परमेश्वर के भजन।
बीड़ी-सिगरेट गांजा-भांग ड्रग्स से बनाना दूरी,
नूतन साल से छोड़ दो इनको अब सभी जन।

नऐ साल की शुभकामनाएं और देते है बधाई,
धोखे जाल झूठ से न करना कोई यह कमाई।
शुद्ध सभी को बेचना है इन दुकानो से मिठाई,
रखो साथियों इंसानियत करलो थोड़ी भलाई।।

नया जोश व नया उल्लास रखना है सभी को,
अनसुलझी पहेली है तो सुलझा लेना उसको।
गुटखा जर्दा पान सुपारी हुक्का भी छोड़ देना,
ऐसा कोई नशा करते है तो छोड़ देना सबको।।

नव वर्ष में ना कर देना कोई किसी की विदाई,
आत्मा से हम बोल रहें ऐसे है अनेकों कसाई।
परिवर्तन तो होता रहता न रखना कोई लड़ाई,
उत्तम व्यवहार बनायें रखें यह मेरी सिखलाई।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

 

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