निर्णय लेना है | Kavita Nirnay Lena Hai
निर्णय लेना है
( Nirnay Lena Hai )
बड़े ही अजीब हैं वो लोग
जो इंसानों से नफरत करते हैं।
दिन रात हिंदू मुस्लिम का राग
न जाने क्यों अलापते रहते हैं।
या तो वो मानव नही है
दानव रूप में जन्म लिये है।
इसलिए हम सब लोगों की
एकता को नष्ट कर रहे हैं।।
वैसे भी इस आधुनिक युग में
किसको किस्से मिलने का वक्त है।
सब के सब अपनी दुनिया में
देखो बहुत मस्त है।
पर चंद लोग है इस दुनिया में
जो जहर समाज में घोल रहे।
और हँसते खेलते परिवारों को
अपने स्वार्थ के लिए उजड़ रहे।।
ईश्वर ने दुनिया ऐसी बनाई थी
जिसमें भेदभाव नही किया था।
न जात न पात को उन्होंने
इसमें कोई स्थान दिया था।
ये तो इंसानो ने ही इंसानों को
अपनों से दूर किया है।
इसलिए ऊँच-नीचे का फर्क
स्वर्थों के लिए बनाया है।।
जन्म लिया जिस भूमि पर
राम-कृष्ण बुध्द महावीर ने।
उस भूमि पर दानवों को
क्या तुम्हें स्थान देना है।
या मानवता के हत्यारों को
दूर तुम्हें अब करना है।
ये निर्णय भी अब लोगों
स्वयं तुम्हें ही लेना है।
स्वयं तुम्हें ही करना है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई