Kavita On Bachpan | Hindi Kavita | Bachpan Kavita -बचपन
बचपन
( Bachpan )
कितना सुंदर बचपन का जमाना होता था
खुशियों का बचपन खजाना होता था ।
चाहत चांद को पाने की
दिल तितली का दीवाना होता था ।
खबर ना थी सुबह की
बस शाम का ठिकाना होता था ।
थक हार कर स्कूल से जब आते
झटपट खेलने भी जाना होता था ।
पापा की हर डांट पर
मम्मी का मनाना होता था ।
रोने की वजह कितनी
पर हंसने का भी खूब बहाना होता था ।
गम की जुबां होती मगर
जख्मों का ना कोई पैमाना होता था ।
खेल खेल में होती थी लड़ाई
पर दोस्ती का रिश्ता भी निभाना होता था ।
बिजली की चमक से डरता था मन
पर कागज की नाव भी चलाना होता था ।
नानी की कहानी में
परियों का अद्भुत फसाना होता था ।
अब कहां वह मस्ती
जब मौसम भी ‘रूप ‘ का मस्ताना होता था ।
कवि : रुपेश कुमार यादव
लीलाधर पुर,औराई भदोही
( उत्तर प्रदेश।)
यह भी पढ़ें :