परीक्षा का डर कैसा | Kavita Pariksha ka Dar
परीक्षा का डर कैसा
लो परीक्षाएं आ गई सर पर अब कर लो तैयारी।
देने हैं पेपर हमको प्रश्नों की झड़ियां बरसे भारी।
घबराहट कैसी संकोच छोड़े परीक्षा से डर कैसा।
पढ़ाई हमने भी की माहौल ना देखा कभी ऐसा।
विनय भाव धारण कर नियमित पढ़ते जाएं।
विषय बिंदु पर ध्यान केंद्रित आगे बढ़ते जाएं।
पठन-पाठन पुस्तक प्रेमी माहौल बना ले ऐसा।
पेपर की तैयारी पूरी करें परीक्षा से डर कैसा।
सजग रहे सतर्क हो जाए संयम धारे मन में।
शिष्टाचार शीतल होकर स्वस्थ रहे तनमन से।
विषय वस्तु विचारों में चिंतन मनन हो ऐसा।
स्वाध्याय लगन सदा हो परीक्षा से डर कैसा।
कलम की जो पूजा करते वाणी का धरे ध्यान।
चिंता छोड़ जो चेतना लाये बढ़ता हृदय ज्ञान।
चुस्ती कुर्ती तरोताजगी हंसमुख स्वभाव ऐसा।
हर जवाब का हुनर हो परीक्षा का डर कैसा।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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