अरमान बाकी है
( Armaan Baki Hai )
इक अरसे जो तेरे बगैर चली वो साँस काफी है,
बिछड़ कर भी तू मेरा रहा ये एहसास काफी है,
सब पूछते हैं कैसे सफ़र किया तन्हा, मैंने कहा
ज़िंदा रहने केलिए आख़िरी मुलाकात काफी है,
तेरे ख़्याल से ही रौशन रहीं मेरी तन्हाईयाँ सदा,
तुझे जहां चाहिए मेरे लिए तेरा ख़्याल काफी है,
कच्ची उम्र की पक्की मोहब्बतें भूलाई न जाती,
इख़्तितामे-ज़िंदगी पे इश्क़ के आग़ाज़ बाकी है,
तेरी ख़ातिर ही हर रिश्ते को निभाया है दिल से,
काश तू भी फ़क़त मेरा रहे ये अरमान बाकी है
आश हम्द
पटना ( बिहार )