सब कठपुतली है ईश्वर की
( Sab kathputli hai ishwar ki )
हम कठपुतली सब ईश्वर की,
उसी परमपिता-परमेश्वर की।
जैसे नाच-नचाऐ हम सबको,
फ़ितरत है यही खिलौने की।।
सदा चारों तरफा प्रकाश तेरा,
हर फूल-पत्तों में यह रंग तेरा।
जैसे नाच नचाऐ हम-सबको,
जन्म व मरण यही खेल तेरा।।
ईश्वर खिलाड़ी, हम बाॅल तेरा,
मेंरे सिर पर रखना हाथ तेरा।
हमें बनाना बाॅल या फुटबाॅल,
लेकिन हाथ पांव रखना तेरा।।
ईश्वर ही सभी का है रचियता,
जन्म देके नांव में बिठा देता।
सबको कठपुतली सा नचाता,
मृत्यु देके नांव से उतार लेता।।
संसार ईश्वर का सारा रंग-मंच,
बाज़ीगर से निराले इनके ढंग।
हम तो कठपुतली खिलौने सी,
तुम डोर हो हमको नचाने की।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )