शैलपुत्री | Kavita shailputri
शैलपुत्री
( Shailputri )
गिरिराज घर जन्मी देवी शैलपुत्री कहलाई।
कमल सुशोभित कर में शक्ति स्वरूपा माई।
तुम त्रिशूलधारी भवानी हो वृषारूड़ा हो माता।
मंगलकारणी दुखहर्ता मां तुम ही हो सुखदाता।
प्रजापति ने यज्ञ किया सब देवन को बुलवाया।
विकल हो गई सती मां शिवशंकर नहीं बुलाया।
घर पहुंची मैया स्नेह मिला बहनों का उपहास।
दक्ष वचन अपमानजनक सती को आये ना रास।
तिरस्कार स्वामी का पा शक्ति समा गई ज्वाला।
दारुण दुख व्यथित होकर यज्ञ विध्वंस कर डाला।
पार्वती हो हेमवती हो शैलपुत्री शक्ति अवतार।
यश कीर्ति वैभवदात्री हो देवी सुख का भंडार।
प्रथम पूजा शैलपुत्री की अनुपम सच्चा दरबार।
अखंड ज्योत जगे द्वारे जग भवानी जग करतार।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )