
शैलपुत्री
मनहरण घनाक्षरी
शैलपुत्री वृषारूढ़ा, गिरिराज प्रिय सुता।
त्रिशूलधारी भवानी, दुख हर लीजिए।
मंगलकारणी माता, दुखहर्ता सुखदाता।
कमल नयनी देवी, वरदान दीजिए।
पार्वती मां हेमवती, शिव गौरी जगदंबे।
यश कीर्ति वैभव दो, माता कृपा कीजिए।
सजा दरबार तेरा, अखंड ज्योति जलती।
शक्ति स्वरूपा अंबे, शरण में लीजिए।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )