सुनो दिकु | Kavita Suno Diku

विषय सूची

तेरी यादों का उजाला

तेरी यादों में डूबा ये दिल बेसहारा,
हर लम्हा अब लगता है सूना-सपना हमारा।
तेरी हंसी की गूंज अब भी कानों में है बाकी,
तेरे बिना हर ख़ुशी लगती है जैसे रोता हुआ कोई बच्चा बेचारा।

तेरी राहों में आंखें बिछाए खड़ा हूँ यूं ही,
हर खामोशी में छिपी है लौट आने की आस।
सब कुछ मिटा दिया मैंने अपना,
बस तुझे ही पाने की अब एक ही उम्मीद है मेरे पास।

अब दिवाली का उजाला भी फीका सा लगता है,
तेरे बिना ये त्यौहार भी अधूरा सा लगता है।
दीप जलते हैं, पर रोशनी नहीं मेरे दिल में,
तेरे बिना हर लम्हा बस अंधेरा सा लगता है।

लगन

हर सुबह तुझसे मिलने की आस में खुलती है,
हर शाम दिल की धड़कनें तेरी छवि से बहलती हैं।
दिल में बसी है एक अनकही ख्वाहिश,
कि जब भी तू आएगी, मेरी दुनिया बदल जाएगी।

तेरे बिना ये पल ठहर से गए हैं,
तेरी बातों के बिना सब बदल से गए हैं।
चाहत का एक सिरा थामे खड़ा हूँ,
ना जाने तेरे मिलने की लगन कब पूरी हो जाएगी।
और जब भी तू आएगी, मेरी दुनिया बदल जाएगी।

तेरी यादों में डूबा मैं, हर लम्हा तेरे साथ जीता हूँ,
तेरे बिना इस दिल की धड़कनों संग आंसुओं का जाम पीता हूँ।
इंतजार का सफर लंबा है, मगर दिल में ठहराव है,
तुझसे मिलने की आस में मेरी रूह खो जाएगी।
जब भी तू आएगी, मेरी दुनिया बदल जाएगी।

तू ही मेरी आरज़ू, तू ही मंजिल की राह है,
तेरे बिना ये ज़िंदगी का सफर महज़ एक बहता पानी का प्रवाह है।
हर मोड़ पर तुझसे मिलन की उम्मीद रखी है,
कभी तो तेरी सांसें मेरी सांसों से जुड़ जाएंगी।
जब भी तू आएगी, मेरी दुनिया बदल जाएगी।

तू आएगी तो ये चाँदनी और भी खिल जाएगी,
तेरे बिना ये रातें अधूरी सी रह जाएंगी।
माँ दुर्गा से हर रोज़ यही विनती करता हूँ,
की तू लौट आए, तो मेरी ज़िंदगी फिर संवर जाएगी।
जब भी तू आएगी, मेरी दुनिया बदल जाएगी।
जब भी तू आएगी, मेरी दुनिया बदल जाएगी।

जन्मदिन की शुभकामनाएँ, दिकु

तेरी मुस्कान में जैसे सूरज की किरणें बिखरती हैं,
तेरी बातों से फूलों की खुशबू अपनी दिशा में चलती है,
सोचता हूँ कैसे अपने प्यार से तुज पर लुटा करूं,
मेरा मन कहता है बस तुझ में ही खोया रहूं।

तेरी अदाओं में बसी है शालीनता की तस्वीर,
तेरे दिल में छुपी हैं प्यार की बातें गहरी और गंभीर,
कभी गीतों में तुझे सजा दूं, कभी तुझे शब्दों से बयाँ करूं,
मेरा मन कहता है बस तुझ में ही खोया रहूं।

तेरे नाजुक लम्हों में छुपी है मोहब्बत की मिठास,
तेरी हंसी में बसी है कोई बात दिलकश सी खास,
हर एहसास को तुझ पर लफ़्ज़ों में उकेरता रहूं,
मेरा मन कहता है बस तुझ में ही खोया रहूं।

तेरी आँखों में चमकती है शरारत की किरण,
तेरी बातों में झलकता है सादगी भरा जीवन,
दिल चाहता है तुझसे बेहद वफ़ा करूं,
मेरा मन कहता है बस तुझ में ही खोया रहूं।

तू ही है मेरे जीवन का हर रंग, हर खुशी,
तेरी हंसी से रोशन होती है मेरी हर सुबह और हर घड़ी,
चाहता हूँ उम्रभर तेरे आँचल में सुकून से सोता रहूं,
मेरा मन कहता है बस तुझ में ही खोया रहूं।

मुझे तेरी याद आ रही है

सन्नाटे में खोई हैं ये रातें,
दिल की धड़कनें बेचैन हैं हर बात पे,
जहाँ बैठा हूँ, ये तन्हाई मुझे खा रही है,
सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।

आँखों में बसी है सूरत तेरी,
हर घड़ी तुझसे मिलने की है चाहत मेरी,
खामोशी में गूंजती हुई तेरी दस्तक सुना रही है,
सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।

तेरे बिना ये दिल बेबस सा हो गया है,
हर सांस का प्रवाह जैसे अधूरा रह गया है,
इन बिछड़े लम्हों की तस्वीर मुजे अकेलेपन का आइना दिखा रही है,
सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।

राहें अब सूनी-सूनी सी लगती हैं,
तेरी मीठी बातें अब बस यादों में ही जगती हैं,
जीवन के हर कदम पर ये साथ निभा रही है,
सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।

जुदाई की घड़ी से अब तक दिल को सुकून नहीं मिला,
तेरे बिना हर एहसास में बस दर्द ही दर्द मिला,
तेरी चाहत मेरी ज़िन्दगी में गहरी होती जा रही है,
सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।

अब तेरे बिना ये हंसी भी उदास है,
दिल में तेरी कमी आज भी बहुत खास है,
हर सांस चलते-चलते बिखरती जा रही है,
सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।
सुनो दिकु, मुझे तेरी याद आ रही है।

तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारे जाने के बाद भी, मेरा दिल तुम्हें पुकारता है,
परेशानियाँ तो हैं बहुत, पर हर लम्हा सिर्फ इंतज़ार से ही नाता है।

ये राहें अब सुनसान हैं, कदम भी थमे-से जाते हैं,
पर उम्मीद के दिये हर पल, बस तुम्हारा नाम दोहराते है।

दर्द है दिल में कहीं गहरा, आँसू भी छिपे हुए हैं,
मगर फिर भी एक आस है, कि लौटोगी तुम,
तुमसे ही तो मेरे सपने बंधे हुए हैं।

वक़्त ने दी हैं ठोकरें कई, पर दिल अब भी नहीं हारा,
तुम्हारे बिना अधूरा हूँ, अब सिर्फ इंतज़ार है मेरा सहारा।

तेरी हंसी की आस अब भी, मेरे होंठों पर थमी है,
तुम लौट आओ तो ये ज़िन्दगी,
फिर से सिर्फ मेरे लिए बनी है।

मुश्किलें तो हैं बहुत राहों में, पर हिम्मत अब भी टूटी नहीं,
लौट आओ, ओ मेरी दिकु,
तुम्हारे बिना तो ये सांसें भी ठीक से चलती नहीं।

आकांक्षा

तुम्हारी राह तकते दिन, कटते नहीं कभी,
मन की गहराइयों में, बसी हो तुम कहीं।

आसमान की ऊँचाई में ढूंढता तुम्हें हर सुबह, हर शाम,
तुम्हें देखे बिना मिले ना चैन, ना मिले आराम।

तेरी मुस्कान की आकांक्षा, आँखों में बसी है,
हर धड़कन में तेरा नाम, मेरे चेहरे पे तेरे होठों की हंसी है।

सपनों के उस पार, कहीं तुम खड़ी हो,
मेरे लिए अब भी तुम, एक उम्मीद की लड़ी हो।

तुम्हारी वो एक झलक, अब भी मेरी चाहत है,
हर आहट में तुम ही हो पास, यही प्रेम की रब से इबादत है।

नर्मदा जी के घाट पर

नर्मदा जी के घाट पर बैठा, तुझको ही मैं सोचूं,
हर लहर में तेरा चेहरा, इसकी खामोशी से बातें मैं बोलूं।

मंदिर की शांति में छुपा, तेरा ही है नाम,
तेरी यादों की डोर थामे, खुद से कैसे मैं डोलूं?

लहरें कहें कहानी तेरी, हर आहट पर तेरा निशां,
जहां मैं बैठा, उसी शहर में तू बसी है, किससे अपना दिल मैं खोलूं?

सूरज की पहली किरण में, तेरा ही रूप मैं देखूं,
तेरी रौशनी में नहाकर, हर दर्द अपना मैं धो लूं।

तस्वीर में बंधे हैं पल, तेरी ही यादों के साथ,
इस घाट की हर लहर में, तेरी धड़कनों संग मिलकर, अपनी हस्ती मैं खो लूं।

नर्मदा जी की गोद में बैठा, तेरे प्रेम में मगन मैं,
“दिकु” “दिकु” पुकारूं मन से,
लौट आ मेरे पास, तेरे पहलू में सर रखकर जी भरके रो लूं।

नर्मदा जी के घाट पर बैठा, तुझको ही मैं सोचूं,
हर लहर में तेरा चेहरा, इसकी खामोशी से बातें मैं बोलूं।

प्रभु गजानन से विनती

हे गजानन, आज आपसे विनती है मेरी,
दिल के घावों को दे दो थोड़ी सी सांत्वना तेरी।

बिछड़ गया है जो सबसे प्यारा, उसे लौटा दो,
मेरे टूटे अरमानों को फिर से आप सजा दो।

आपकी कृपा से जीवन में सवेरा लाओ,
विरह की इस रात में, अपना प्रकाश दिखाओ।

हर तड़प, हर पीड़ा को आप हर लो,
मेरे मन की दुनिया को फिर से रंगीन कर दो।

आप हो दुखहर्ता, आप हो सुखकर्ता,
जीवन के हर मोड़ पर आप ही मेरे संबलदाता।

बस एक बार कर दो कृपा अपार,
लौटा दो उसे जो है मेरे दिल का आधार।

आपकी शरण में हूँ, बस यही है मेरी आस,
लौटा दो मेरा प्रेम, और भर दो दिल में विश्वास।

सब जानते हो बाप्पा,
मार्ग दिखा दो,
मुश्किलों से मुझे पार कराओ, जीवन को फिर से सजा दो।
मैं नहीं रह सकता उसके बिना, बाप्पा,
मुझे मेरा जीवन फिर से लौटा दो।
मैं नहीं रह सकता उसके बिना, बाप्पा,
मुझे मेरा जीवन फिर से लौटा दो।

विरह की वेदना

किससे कहूं ये दिल का हाल,
तेरे बिना, हो गया हूँ मैं बेहाल।

हर पल तेरी याद में डूबा हूँ,
तेरे बिना बस ख़ामोश सा खड़ा हूँ।

जब तू थी, रंगीन था ये जहां,
अब तेरे बिना, हर पल, हर लम्हा है वीरान।

तकलीफ़ ये मेरे दिल में समाई है,
तेरी यादों ने आँसू की धारा बहाई हैं।

किसे सुनाऊं ये दर्द भरा गीत,
तेरे बिना सब लगता है मुझे अतीत।

लौट आ, अब और ना तड़पा मेरे मीत,
तेरे बिना प्रेम के जीवन का सुना पड़ा है संगीत।
तेरे बिना प्रेम के जीवन का सुना पड़ा है संगीत।

बहार

जब दिल में तेरे आने की खबर छा जाती है,
हर सूखी टहनी पर जैसे बहार खिल जाती है।

वो हवाओं में तेरी खुशबू का बहना,
जैसे मेरे वीराने दिल का फिर से चहकना।

हर फूल जैसे तेरी हंसी में रंग पाता है,
तेरी यादों का हर झोंका बहार बन जाता है।

आसमान पर बादलों का झूमना,
जैसे मेरी उम्मीदों का एक साथ घूमना।

तेरे इंतज़ार में हर लम्हें की लहर बसी है,
बहारें भी अब तेरे कदमों की आहट को तरसी हैं।

तू लौट आए तो फिर से दिल बहक जाएगा,
हर सूनी शाख पर फूल खिलकर महक जाएगा।

यादों की दौलत

जब मेरी दिकु से बात हुआ करती थी,
हर दर्द में भी मुस्कान खिला करती थी।

कितना भी व्यस्त रहा हूँ मैं,
उससे बात करने का समय मिल ही जाता था,
जैसे वक्त भी हमारी मुलाकात का इंतज़ार करता था।

छोटे-छोटे बहाने ढूंढा करते थे,
हर पल एक-दूजे से जुड़ने का बहाना बनता था।
वो मीठी बातें, वो हँसी के पल,
यादों में हर लम्हा अनमोल बनता था।

आज वही पल आँखों में समेटे,
एक झलक की तड़प दिल में बसी है।
हर सांस में उसकी कमी महसूस होती है,
धड़कने उसकी राह में बेसब्री से बिछी हैं।

जब उसकी यादों का साया सिरहाने आता है,
तो हर ग़म में भी दिल सुकून पाता है।
वो दिन जो अब भी दिल के करीब हैं,
यादें और ख्वाब, अब बस एक नसीब हैं।

इंतजार है उस दिन का जब वो लौट आएगी,
ये दूरी मिटेगी, और मेरी धड़कन फिर से मुस्कराएगी।
यादों का सहारा तो है, पर तुम्हें पास पाना है,
तेरी राह में आज भी, प्रेम का अविरत ठिकाना है।

मैं

सुनो दिकु…

मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम,
जो तुम्हें बेहद प्यार करता है,
तुम से बिछड़े सालो हुए, फिर भी तुम्हारा इंतज़ार करता है।
तुम हो दूर, पर दिल में नजदीक बसी हो,
तुम्हारे नाम से ही यह दिल धैर्य से धड़कता है।

मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम,
जिसे तुम्हारे बिना यह जीवन अधूरा सा लगता है,
हर पल तुम्हारे इंतज़ार में, दिल ये विरह की आग में जलता है।
तुम्हारी यादों की छांव में वोह सुकून पाता है,
तुम्हारे लौट आने की उम्मीद में हररोज़ दर्द का कडवा घूंट पी जाता है।

मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम,
जो हर सुबह सूरज की किरणों में तुम्हें खोजता है,
हर रात तारों की चमक में तुम्हें सोचता है।
तुम्हारी एक मुस्कान, तुम्हारी एक झलक की चाहत में,
आज भी वहीं खड़ा रहकर जहाँ से तुम जुदा हुई थी,
तुम से मिलने की राह में कतरा कतरा अपना दम तोड़ता है।

मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम,
जिसका परिचय ही प्रेम है,
जिस की चल रही टूट टूटकर सांस है,
तुम्हारे बिना भी, तुम से मिलने की जिसे आस है।
जो तुम्हारे लौट आने की राह में अडिग खड़ा है,
और जिसे आज भी तुम लौटोगी, इस बात पर अटूट विशवास है।

प्रेम का परिश्रम

कोई कसर ना रहेगी मेरी,
तुम तक मेरी बात पहुंचाने में।

यह ज़माना चला है अब तो,
हमारे प्यार को आज़माने में।

ना जाने कौन से गुनाह हो गए है मुझसे जो ऐसी सज़ा मिली,
कायनात ने कहर ढा दिया दिल के मयखाने में।

माना सम्पूर्ण सही नहीं होता मैं हर बार,
पर मैंने बेईमानी नहीं की थी तुम से प्यार निभाने में।

तुम कहती थी ना कि तुम्हें खोना नहीं चाहती हूँ में,
तो फिर लौट आओ ना, फिर से “दिकुप्रेम” के आशियाने में।

जन्माष्टमी का पर्व प्यारा

रात अंधेरी में गूंजा, मधुर बांसुरी का स्वर,
जन-जन में जन्मा प्रेम, धरा पर आई लहर।
नंदलाल ने जन्म लिया, मुरलीधर का आया काल,
मात यशोदा के आँगन में, बसा प्रेम का अपार हाल।

गोकुल में हर्ष मनाए, बजी बधाइयाँ हर द्वार,
कान्हा ने रास रचाया, नाचा हर ग्वाल-बाल।
राधा संग रचाई लीला, मोहन ने मन हर लिया,
जग में प्रेम की बंसी बजाई, पाप का नाश कर दिया।

मधुबन में छेड़ा धुन प्यारी, गाए गोकुल के नर-नारी,
मटकी फोड़ने की तैयारी, कान्हा ने रचाई सवारी।
रात भर मनेगी ये रासलीला, मन में भरेगी नई कलीला,
जय-जयकार हो कृष्ण की, हर दिल में बसी है उसकी लीला।

जन्माष्टमी की शुभ बेला, भक्तों का हुआ उद्धार,
गूंज उठी हर दिशा में, मोहन की जय जयकार।
द्वारकाधीश का जन्म हुआ, मुरली का स्वर गूंज उठा,
आओ मिलकर गाएं हम, कृष्ण जन्म का आनंद मनाएं हम।

इंतज़ार का मोल

इश्क़ का सफर सबके लिए आसान नहीं,
ये राहें हैं वो है, जिस की सबको पहचान नहीं।

मिटे न जो दर्द, वो सच्ची लगन है।
प्रेम की खातिर ही तो सजी ये धड़कन है।

सच्चा प्रेम वो है जो इंतज़ार करे,
हर लम्हे में बस उसी का दीदार करे।
खुशी तो मिलती है ज़रूर, पर धैर्य के साथ,
मोहब्बत का सफर यूं ही ना बेकार करे।

हर कोई नहीं जानता इंतज़ार का मोल,
जो जान गया, उसे मिल गया नसीब का तोल।

दिल को जोड़ता है वो रिश्तों की डोर है।
सच्चे प्रेम की राह में, प्रेमी के लिए सबकुछ गोल है।

जिन्हें नहीं मिलता, वो तड़पते हैं,
जिन्हें मिल जाता है, वो पल भर नहीं थकते हैं।
सच्चा प्यार कभी जाया नहीं जाता,
इंतज़ार में भी वो शिखर को छूते हैं।

फासलों का दर्द

हाथों में तेरा हाथ, पर छू नहीं पाया,
फासले जो हो गए, वो दूरी मिटा नहीं पाया।
तेरे हाथ की लकीरों में ढूंढा मैंने खुद को बहुत,
पर वो तेरा साथ, कभी पा नहीं पाया।

अब यादें हैं, जो हर लम्हा तुझसे मिलाती हैं,
तेरे बिना ये जिंदगी अधूरी सी लग जाती है।
हाथ उठे, पर छू नहीं पाए तेरा हाथ,
बस यही पीड़ा दिल को हर रोज रुलाती है।

वो पल जब तुझसे बिछड़ गया था मैं।
अब हर कदम पर तुझे खोजता हूँ मैं।

हाथ में तेरा हाथ है, पर फासले हैं दरमियाँ।
यादों में जीता हूँ, तुझे देखने की आस है यहाँ।

तेरे लौट आने की ख्वाहिश में हर लम्हा गुजर जाता है,
पर तेरा वो मेरे जीवन में आना, अब भी एक सपना सा लगता है।
हाथ में तेरा हाथ, पर वो गर्मी कहाँ,
तेरे बिना ये दुनिया का हिस्सा, अकेलेपन से भरा बचपना सा लगता है।

कुछ अधूरे अफसाने

कुछ अधूरे अफसाने, दिल में बसे रह गए,
जिन्हें कभी लिख न पाए, वो किस्से बनकर रह गए।
हर मोड़ पर तेरी याद, दिल को तड़पाती रही,
हमेशा की तरह ये सिलसिले अधूरे रह गए।

हर लफ्ज़ में बसी थी तेरे प्यार की मिठास,
लेकिन उस मुकाम तक पहुँच न सके,
जहाँ मिलना था, वहीं यादें रह गईं,
वो शामें, वो बातें, फिज़ाओं में अफसाने अधूरे रह गए।

ख्वाबों में तेरा चेहरा, आज भी सजीव लगता है,
पर हकीकत में, तेरी कमी दिल को चुभती है।
हर पल का साथ चाहा था, पर वो नसीब न हुआ,
हमारे प्यार के ज़माने अधूरे रह गए।

कुछ किस्से जो दिल में दबाकर रखे थे,
अचानक दूरी से उन्हें जताने अधूरे रह गए।
कुछ अधूरे अफसाने, दिल में बसे रह गए,
जिन्हें कभी लिख न पाए, वो किस्से बनकर रह गए।

राखी का बंधन

बहन का स्नेह, भाई की आस,
राखी का बंधन, हर रिश्ते की होती है प्यास।

मां के आँचल का, वो अंश प्यारा,
रिश्तों में सजीव रहता, स्नेह का सितारा।

हर धागे में लिपटा, वादा अमर,
जीवन के हर पथ पर, एकदूजे के साथ का असर।

दिल में उमड़ती, वो ममता की धारा,
राखी में बंधा है, हर भाई का सहारा।

न बिछड़े कभी, न टूटे ये डोर,
जीवन की राह में, हर कदम साथ हो।
ये पावन बंधन, सजीव रहे,
भाई-बहन के दिलों में सदा ही प्रेम का वास हो।

आवाज़ उठानी होगी

कब तक चुप रहोगे, कब तक सहोगे ये अत्याचार,
नारी के सम्मान पर यूँ न चलने देंगे और वार।

भय और आतंक की इस नगरी में,
अब हमें आवाज़ उठानी होगी।
इन वासनामय रावणों को,
अब मानवता की शक्ति दिखानी होगी।

सबको जगाना होगा।
रेप के अंधकार को,
अब हमें मिटाना होगा।

जिस धरती पर सीता ने जन्म लिया,
उसी भूमि पर आज फिर से है अरण्य में वनवास।
उन मासूम आँखों में न जाने कितने थे सपने,
बिना सहारे के ही अब उन्हें है ये जीवन भास।

उनकी चीखें, उनका दर्द, उनकी ख़ामोशी,
समाज के इस कोने में दबी हुई है,
हमें उनकी पीड़ा को समझाना होगा।
उनकी सुरक्षा की अब एक लौ जलानी होगी,
रेप के अंधकार को, अब हमें मिटाना होगा।

हर कोने में अब संवेदनाओं का संचार हो,
कानून के हाथों में सच्चा इंसाफ़ हो।
न्याय की इस लड़ाई में, हम सब साथ हो,
हर बेटी को सुरक्षा का अधिकार हो।

न कोई डर, न कोई भय, न हो उनका अपमान,
हमें बनानी होगी ऐसी एक नई पहचान।
जहां नारी के सम्मान पर कभी न आए संकट,
अब इस जुल्म की काली रात को खत्म कराना होगा,
रेप के अंधकार को, अब हमें मिटाना होगा।

प्रेम का विरह

विरह में मेरा मन, जैसे सूना आँगन लगे,
सन्नाटों की रातें, और आँखों से नींद उड़ गई।

तेरे बिना ये जीवन, जैसे बिन पंखों का सपना,
हर पल तेरी यादें, मेरी सांसों में घुल गईं।

तुम जहाँ भी हो, मेरी रगों में बहती हो,
तेरे बिना ये दिल की आवाज़, जैसे किश्तों में टूट गई।

प्यार की राह में (गीत)

प्यार की राह में, मैं खड़ा हूँ वहीं
जहाँ से छोड़कर, मुझको तू थी गई।
प्यार की राह में, मैं खड़ा हूँ वहीं
जहाँ से छोड़कर, मुझको तू थी गई।
तेरी खामोशी में, राज़ है जो कई
ये सब मुझको तू क्यों, बतलाती नहीं।
प्यार की राह में…..

अब भी आता है लबों पर तेरा नाम रे
अब भी आता है लबों पर तेरा नाम रे
प्यार गहरा है, ये तू पहचान रे।
लौट आ, दिलरुबा, कर दे तू भी खता
मैंने चाहा तुझे, दूर से ही सही
तुझको पाने की, मुझे कोई लालच नहीं।
तेरी खामोशी में, राज़ है जो कई
ये सब मुझको तू क्यों, बतलाती नहीं।
प्यार की राह में…..

लगे जख्मों का कोई हिसाब नहीं
लगे जख्मों का कोई हिसाब नहीं
तू ना आए वैसा कोई ख्वाब नहीं।
अब न तड़पा, सामने आ
ना दे मुझको सजा
ज़माना पागल कहे, ये मुझे गम नहीं
पर नज़रें तू मुझसे मिला तो सही।
तेरी खामोशी में, राज़ है जो कई
ये सब मुझको तू क्यों, बतलाती नहीं।
प्यार की राह में…..

प्रेम आज भी ऑफ़िस में लेट होता है

प्रेम आज भी ऑफ़िस में लेट होता है,
दूरियों की साजिश से ये क्यों रोज़ होता है।

बीते लम्हों की महक अब भी मन को छूती है,
तुम्हारी यादें दिल में चुपके से आकर सोती हैं।

वो हंसी, वो बातें अब भी गूंजती हैं कानों में,
खामोशी के साए में गहराई उतरती हैं अरमानों में।

आज भी इंतज़ार की घड़ियाँ, थमती नहीं हैं,
तुम्हारे कदमों की आहट से,
दिल की बातें बहलती नहीं हैं।

ऑफ़िस की शामें अब भी लंबी लगती हैं,
तुम्हारी परछाई में मेरी तन्हाई बुनती हैं।

प्रेम की घड़ी आज भी तुम्हारी यादों में लेट हो जाती है,
पर दिल की घड़कन तो उसी पल में थम जाती है।

बीतते लम्हों की परछाई,
हर जगह तलाशता हूँ,
तुम्हारी हंसी की मिठास,
अपने होंठों पर पाता हूँ।

दूर सही, पर तुम आज भी करीब लगती हो,
प्रेम आज भी ऑफ़िस में लेट होता है,
पूरे रास्ते तुम मेरी नज़रों को ही तकती हो।

सावन

सावन की बूँदों में तेरी यादों की मिठास है,
विरह की तपिश में, दिल हर पल उदास है।

बादलों की गर्जना में, तेरी आहट की आस है,
तेरे बिना ये मौसम, एक खाली सा एहसास है।

हर बूँद में मिलन की ख्वाहिश जगती है,
तेरे बिना ये जीवन, सूना सा लगता है।
तेरे आने की उम्मीद, दिल को धड़काती है,
सावन की हर फुहार में, बस तेरा ही साथ दिखता है।

मिलन की वो घड़ी, जब तू मेरे पास आएगी,
विरह की ये वेदना, उसी पल खो जाएगी।
सावन की इन बूंदों में, जब हमारा मिलन होगा,
दिल की हर धड़कन, तुझ संग प्रेममय हो जाएगी।

सावन की इस बारिश में, तेरी यादों का संग है,
तेरे मिलन की चाहत में, ये दिल आज भी बेसब्र है।

तेरे बिना ये सावन, अधूरा सा लगता है,
तेरे आने से ही, ये मौसम फिर से महकता है।

सपना आया

सपना आया तेरे लौट आने का,
हर पल खुशी में बिताता हूँ मैं।
तेरी हंसी की गूंज में,
दिल खोलकर मुस्कुराता हूँ मैं।

तेरे आने की खबर से,
दिल को गज़ब का सुकून मिला है।
बड़ी मुद्दतों के बाद,
प्रेम के मन में खुशियों का सवेरा खिला है।

सपना आया तेरा हाथ मेरे हाथ में,
उस पल की मिठास को, दिल में बसाता हूँ मैं।
तेरा साथ पाने की आस में,
हर पल खुशियों से जी जाता हूँ मैं।

तेरे लौटने की आहट ने,
दिल में अनेक उमंग भर दी।
मेरी सुनी सी पड़ी कुटिया को,
हज़ारों दीपों से झगमगाता हूँ में।

सपना आया तेरे लौट आने का,
हर पल खुशी में बिताता हूँ मैं।
तेरी हंसी की गूंज में,
दिल खोलकर मुस्कुराता हूँ मैं।

हमारे सच्चे प्रेम में

हमारे सच्चे प्रेम में, गहरी प्रतीक्षा है,
हर पल तेरे इंतजार की ज्वाला, मेरी रूह में बसी है।
तेरे बिना ये दिल, तन्हा सा है,
तेरी राहों में, मेरी हर सांस रुकी है।

आँखों में तेरे ख्वाब, दिल में चाहत,
तेरी यादों में, मेरी हर रात बसी है।
तेरे आने की आहट, दिल को सुकून देती है,
मेरी हर दुआ में, तेरे आने की आस जगी है।

काश ये प्रतीक्षा, एक दिन खत्म हो जाए,
मेरा ये मन तुझ में ही खो जाए,
तेरे बिना एक खंडहर सा मकान हूँ मैं,
तेरे साथ से ही हर पल, मेरी जिंदगी घर की तरह सजी है।

तेरी उदासी

तेरी चमकती आँखों की उदासी देखी है मैंने,
हर एक दर्द को छिपती हुई उबासी देखी है मैंने।
तेरे दिल की गहराई में जो दर्द बसा है,
उसको समझने की कोशिश की है मैंने।

तू कहती है किताबें नहीं भाती अब तुझे,
मेरे शब्दों को पढकर आइना बना सकती हो मुझे।
तेरे हर एहसास को अपने दिल में बसा लूँ,
तेरी हर खुशी और गम को अपने साथ बंटा लूँ।

तेरे बिना हर लम्हा अधूरा सा लगता है,
तेरी हर याद को अपने दिल में सजाए रखता हूँ मैं।
तेरे दिल की हर धड़कन को महसूस करना,
तेरे बिना कहीं और दिल नहीं लगाएं रखता हूँ मैं।

तू मेरे जीवन का वो सितारा बन जा,
जिसकी रोशनी में मैं हर पल संवर जाऊँ।
तेरी आँखों की उदासी को देखकर,
तेरे हर दर्द को अपने दिल से महसूस कर जाऊं।

टूटते सपने

सपने टूटे हैं तो क्या हुआ,
उमंगें दिल में अभी भी हैं।
ख्वाबों के परखचे उड़ गए,
पंखों के निशां अभी भी हैं।

रात की धुंधली से सहर होती,
सपनों की दुनिया से बाहर होती।
लेकिन थका नहीं, ना ही हारा हूँ,
सपने देखने की हिम्मत अभी भी हैं।

सपने टूटे हैं तो क्या हुआ,
उमंगें दिल में अभी भी हैं।
सपनों के टुकड़ों से फिर से,
अपने आशियाँ को जोड़ने की कोशिश अभी भी है।

मोहम्मद रफ़ी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि

आवाज़ में बसी थी जो, हर दिल की तड़प,
संगीत के सुरों में, उनकी बसी महक।

मोहब्बत के नग़मे, दर्द की रागिनी,
रफ़ी की आवाज़ में, हर गीत की कहानी।

दिल से जो गाया, दिलों को छू गया,
हर स्वर में उनके, सुकून का एक जहां।

रिमझिम फुहारों में, सावन का गीत,
रफ़ी की आवाज़ में, दिल का संगीत।

आज भी गूंजती है, उनकी मधुर तान,
हर दिल में बसते हैं, वो सुरीले अरमान।

पुण्यतिथि पर याद करें, वो स्वर्णिम युग,
मोहम्मद रफ़ी की आवाज़, अमर रहे सदा हर सुगम।

जीना मुश्किल है

तुम नहीं हो मेरी ज़िन्दगी में,
ये मेरा दिल मानना नहीं चाहता।
एक तुम्हारी ही छवि बसी है दिल में
तुम्हारे सिवा किसी और को मैं पहचानना नहीं चाहता।

तुम बिन इस दिल में,
सुकून नहीं पाता हूँ।
हर रात तुम्हारी यादों में,
केवल आँसू ही बहाता हूँ।

कहते हैं साथी मेरे,
सब भूलकर बढ़ जा आगे।
तुम्हारी यादें ही तो ज़िंदा रखती हैं मुझे,
इसीलिए तुम्हें भूलकर खुद को प्रताड़ित नहीं करना चाहता।

तेरे बिना हर पल,
एक उम्र सा लगता है।
तू जो पास नहीं होती,
सब अधूरा सा लगता है।

तेरे बिना ये जीवन,
एक सजा सी हो गई।
तेरे बिना हर खुशी,
मुझसे खफा सी हो गई।

रातें तन्हा गुज़रती हैं,
तेरे बिना सवेरा नहीं होता।
तुझे देखने की चाह में बेबस सा हो गया हूँ,
पर फिर भी तुझे देखे बिना अपने हाल सुधारना नहीं चाहता।

तुम नहीं हो मेरी ज़िन्दगी में,
ये मेरा दिल मानना नहीं चाहता।
एक तुम्हारी ही छवि बसी है दिल में
तुम्हारे सिवा किसी और को मैं पहचानना नहीं चाहता।

एक दिन की ज़िंदगी

एक दिन की ज़िंदगी, ख्वाबों में बीत जाती है,
सपनों की रंगीनियां, हकीकत से रूठ जाती हैं।

हर सुबह में, नया सवेरा ढूंढ़ते हैं हम,
लेकिन ये शामें, बस यूँ ही ढल जाती हैं।

चाहा था तेरे साथ, हर पल को जीना,
मगर तेरी यादों में, ये सांझ भी बीत जाती है।

तेरे बिना ये दिल, हर रोज़ बिखरता है,
तेरे बिना ये जीवन की डोर, कच्ची सी हो जाती है।

लौट आओ तुम, तो यह एक दिन की ज़िंदगी में सदियां बिता दूँ मैं,
पर बिना तुम्हारे, इतने सालों की ज़िंदगी भी एक पल की हो जाती है।

काश कुछ ऐसा होता

सुनो दिकु…

काश कुछ ऐसा होता, कि हम फिर मिल पाते,
तुम्हारे बिना ये दिल, हर पल तड़पता है।

तुम्हारी यादों का कारवां, हमेशा साथ चलता है,
टूटा हुआ ये दिल, सिर्फ़ तुम से ही जुड़ा रहता है।

तुम बिन ये दुनिया, सूनी सी लगती है,
अब तो हर खुशी में भी, सिर्फ उदासी ही बसती है।

तुम्हारी आँखों की चमक, अब भी सामने आती है,
तुम्हारी हंसी की धुन, अब भी सीधा दिल में गरकाव कर जाती है।

काश तुम बिन ये रातें, कट जातीं आसानी से,
प्रेम की आँखें बरसती है हरपल, सिर्फ और सिर्फ आंसुओ के पानी से।

खामोशी (ग़ज़ल)

सुनो दिकु…..

खामोशी के साये में, यादें घिरी हैं,
तेरी तस्वीर से, मेरी रातें सजी हैं।

बिछड़े हुए लम्हों की कसक में जी रहे हम,
टूटा हुआ दिल है, अब कहां खुशी है।

तेरे बिना हर दिन, हर शाम जैसे अधूरी सी है,
इस जिंदगी में अब बचा कुछ नहीं,
तेरे इंतजार में सिर्फ उदासी ही है।

तेरी हंसी की गूंज, अब भी है कानों में,
पर ये दिल बेजान है, ना कोई हलचल सी है।

आंसुओं की बारिश, बनके आई है,
तेरे बगैर ये प्रेम की दुनिया,
आंसुओं से घिरे हुए दलदल सी है।

सिर्फ तुम चाहिए

सुनो दिकु….
तुम्हारी यादें हैं मेरे मन की जुबानी,
बिन तुम्हारे सब कुछ लगता है बस वीरानी।

हर साँस में बसी है तुम्हारी सूरत प्यारी,
तुम बिन प्रेम की ज़िंदगी, जैसे कोई कहानी।

तुम्हारी आवाज़ की गूँज, अब भी सुनाई देती है,
तुम बिन हर पल, लगता है एक वीरान ज़िंदगानी।

तुम्हारी हँसी की झंकार, अब भी दिल में झनक रही है,
तुम्हारे बिना मेरी हर खुशी, है जैसे कोई नादानी।

तुम्हारे कदमों की आहट, अब भी महसूस होती है,
तुम्हारे बिना हर राह, लगती है मुजे अनजानी।

तुम्हारी फिक्र का सुकून, अब भी मुझे चाहिए,
तुम्हारे बिना ये दिल, है बस एक वीरान ज़िंदगानी।

एक सिवा तुम्हारे सब कुछ है, फिर भी तुम बिन कुछ भी नहीं,
तुम्हारे बिना ये दिल, है जैसे कोई अंधेरा आसमानी।

तुम चाहिए मुझे हर पल, हर घड़ी,
तुम्हारे बिना प्रेम का जीवन, है बस एक अधूरी कहानी।

प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए

तेरे मेरे सपने

तेरे मेरे सपने हैं, जैसे रातों की चाँदनी,
तेरी यादों से सजती, मेरी हर सुबह की रोशनी।
बिछड़े हुए हैं हम, फिर भी संग हो तुम हर लम्हा,
साथ है तेरी आँखों की चमक, और मेरी आँखों की नाराज़गी।

तेरे बिना ये दिल, हर लम्हा तड़पता है,
तेरी खुशबू का नशा, अब भी मुझसे लिपटता है।
हर पल तेरी चाहत, दिल को तसल्ली देती,
तेरे बिना ये जीवन, अधूरा सा लगता है।

तेरी हँसी की गूँज, अब भी दिल को है महकाती,
तेरे आलिंगन की ताजगी, अब भी दिल को है सहलाती।
तेरे साथ बिताए वो हर पल, हर एक की कहानी बन गयी,
आज भी मेरी यादों में वो, हर रूप में जिंदा हो जाती।

तेरी जुदाई का दर्द, हर पल मुझे सताता है,
तेरे बिना ये दिल, हर रोज़ आहें भरता है।
तेरी तस्वीर को देखकर, दिल को तसल्ली ज़रूर मिलती,
पर तेरे बिना तन्हाई का भवंडर, हररोज़ प्रेम को रुलाता है।

तेरे बिना ये रातें, सूनी-सूनी लगती हैं,
तेरी यादों की छाँव, हर लम्हा मेरे संग रहती है।
तेरे मेरे सपनों का, ये सफर अनोखा है,
तेरी मोहब्बत का नशा, हर पल दिल में आज भी निरंतर बहता है।

तेरे बिना ये दिल, यूँ ही बेकरार है,
तेरी मोहब्बत का नशा, अब भी पहले सा बरकरार है।
तेरे मेरे सपनों में, हर रात तेरा ही चेहरा,
तेरी यादों का जादू, और
तेरे मेरे सपनों में, इस दिल को सिर्फ तेरा ही इंतज़ार है।

नशा

सुनो दिकु

तुम्हें देखे बिना ये दिल, यूँ बेक़रार है,
तुम्हारी यादों का नशा, जैसे हर रोज़ नया ख़ुमार है।

बिछड़ कर भी साथ हो, मेरे ख्वाबों में,
तुम्हारी एक झलक ही, मेरे दिल पे असरदार है।

जब तुम पास थी, जैसे हर ग़म गया,
अब तो बस तुम्हारी कमी की, मुझ पे बौछार है।

तुम से मिलने की तमन्ना, हर पल है जगी,
किस्मत में फिर भी वो, दूरियों की मार है।

तुम बिन ये जिंदगी, है जैसे कोई सज़ा,
तुम्हारी मोहब्बत का नशा, अब भी बरकरार है।

बड़ी मशक्कत से चला रहे है इस शरीर को प्रेम,
अब तो बस तुम से मिलने का ही इंतजार है।

तुम्हारी यादों का सफर

सुनो दिकु….
दूर हो गयी तुम, तुम से बेहद प्यार करता हूँ,
यादों के सागर में अक्सर डूबा रहता हूँ।

आज भी तुम्हारी बातें दिल को छू जाती हैं,
आँखों में आँसू बनके, हर पल मुजे रुलाती हैं।

तुम्हारे बिना हर लम्हा अधूरा सा लगता है,
दिल में दर्द का तूफान सदा उमड़ता है।

जिंदगी की राहों में जब भी तुम्हें याद करता हूँ,
वो प्यारे पल आँखों के सामने झिलमिलाते हैं।

तुम पास नहीं, फिर भी तुम्हारी यादों के साये,
तुम्हारे करीब होने का मुजे एहसास दिलाते है।

क्या खोया, क्या पाया

क्या खोया, क्या पाया इस जीवन के सफर में,
बिछड़ गई वो राहें, जो बांधे रखती थीं हमें हर सफर में।
हर लम्हा बिताया करते थे एक-दूसरे के साथ में,
हर घड़ी गुज़रती थी, एक-दूजे की फिकर में।

तेरे संग बिताए पल, वो हंसी के ठिकाने,
अब बस यादें ही रह गईं उसमें, वो भी किस्से हो गए अब पुराने।
तेरे बिना दिल का हर कोना वीरान हो चुका है,
अब तो बस तेरी यादों से ही सजते हैं मेरे मन के अफसाने।

तू ही है मेरे हर एक ख्वाब में, मेरे हर एक एहसास में,
तेरे बिना जीवन की राहें, अब अनजान हो जाती हैं।
तेरी वो हंसी, तेरी वो बातें, वो मुलाकातों को याद कर,
मेरे दिल में गूंजती हुई सुबह, न जाने कब शाम हो जाती है।

क्या खोया, क्या पाया, ये सवाल अब गहरा हो गया है,
तेरे बिना हर ख्वाब, एक टूटा हुआ चेहरा हो गया है।
बस तेरी यादों में खोकर ही जीते हैं ये पल,
जैसे तू ही हो मेरी दुनिया, मेरे खून का हर एक कतरा तुम सा हो गया है।

क्या खोया, क्या पाया, ये सोचता है ये दिल,
तेरे बिना अधूरी है मेरी हर एक महफिल।
तू ही अब मेरी जिंदगी का हिस्सा है, तू ही मेरा किस्सा है,
एक तेरे सिवा प्रेम को अब कोई भी नहीं चाहिए मंजिल।

मुजे तेरी ज़रूरत है

रात के सन्नाटे में तेरी यादें,
दिल को मेरे, हर पल तड़पाती हैं।
तेरे बिना ये दुनिया बहुत सूनी है,
तेरे बिना ये आँखें नम हो जाती हैं।

खाना भी अब स्वाद नहीं देता,
हर निवाला कड़वा लगता है।
एक बार सोच के तो देख,
तुझ बिन प्रेम किस तरह तन्हा जीता है।

तू दूर है, ये दिल मान ही नहीं पाता,
तेरी खुशबू इर्द-गिर्द हर जगह बसी है।
तेरे बिना मैं बिखर जाता हूँ,
पर तुझ से मिलने की मेरे पास कोई राह नहीं है।

क्या करूँ, कैसे भुलाऊँ,
हर जगह बस तेरा चेहरा दिखाई देता है।
बस रोता हूँ, और कुछ नहीं आता,
तेरे बिना ये दिल तड़पता रहता है।

मुजे तेरी ज़रूरत है, हर पल, हर घड़ी,
तेरे बिना ये जीवन बेकार लगता है।
तेरी यादें ही मेरी संजीवनी हैं,
तू ही तो दुनिया है मेरी,
तुम बिन जीना दुश्वार सा लगता है।

अफसाना प्यार का

सुनो दिकु …

अफसाना प्यार का, एक दिल की सदा,
यादों की परछाइयाँ, हर पल की वफ़ा।

चाँदनी रात, तुम्हारी तस्वीरें है बनाती,
तुम्हारे ख्यालों में डूबी, मेरी रूह विरह गीत है गाती।

तुम्हारी बातों की महक, हर साँस में समाई हुई है,
तुम हो तो दिल के करीब, पर फिर भी खुदा ने दूरियों की यह राह बनाई हुई है।

तुम्हारी यादों के साये, हरपल मेरा साया बने,
तुम ही बताओ, अफसाना प्यार का, तुम से फिर कैसे कहें?

दिल की धड़कनों में, तुम हर लम्हा समाई हो,
तुम्हारी गैर मौजूदगी में, हर रात, जैसे क़यामत की तरह बिताई हो ।

प्रेम की ये कहानी है, अनकही यह बात होगी,
अफसाना प्यार का है, यह वक्त इंतज़ार का है,
जब भी प्यार की बात होगी, प्रेम की बस तुम से ही मुलाकात होगी।

बरसात की यादें

सुनो दिकु….

जब बरसती है आसमान से बारिश,
तुम्हारी यादें दिल में छा जाती हैं।
हर बूंद में बसी हुई है सूरत तुम्हारी,
भीगी हवा मुझे तुम्हारा एहसास दिलाती है।

टप-टप करती बारिश की बूंदें,
तुम बिन यह भीगी सड़क भी सुनी सी लगती है।
तुम्हारी हंसी की मिठास में खो जाना चाहता हूँ मैं,
मेरे दिल में हरदम बस यही एक आस जगती है।

बरसात के उन दिनों में, दूर होकर भी खुशी से बिताए वो पल।
तुम्हारी वोह बातें, तुम्हारी मीठी मुस्कान,
यह सब यादें जोरों की बारिश में भी बना देती है मुजे निर्जल।

बूंदों की सरगम में गूंजती हुई,
तुम्हारी मधुर आवाज।
आज भी भीगी हुई इन गलियों में,
महक रहा है तुम्हारी यादों का एहसास।

जब-जब बादल गरजते हैं,
तुम्हारे कदमों की आहट सुनता हूँ।
बिछड़ गयी हो तुम मुझसे,
फिर भी तुम से जुड़े हर पल की यादों में आज भी खुशी से झूमता हूँ।

हर बूंद कहती है कहानी,
दिकुप्रेम के प्यार की।
तुम बिन कुछ नही रहा इस जीवन में
रह गयी है तो सिर्फ ये बरसात की रातें और आस तेरे इंतजार की।

ऐ मेरे हमसफर

ऐ मेरे हमसफर (दिकु), यादों की बगिया में, तेरी महफ़िल सजी है।
तेरी तस्वीर है मेरे दिल और दिमाग में, हर जगह बस तू ही बसी है।

तू बिछड़ी, तो जैसे जीवन का गीत रुक गया,
हर सांस में तेरी कमी हुई, मेरे जीने का एहसास वहीँ डूब गया।

तेरे साथ बिताए पल, अब भी ताजगी भरते हैं,
मेरी तन्हाई के साये, आज भी तेरी कमी से डरते हैं।

रात की तन्हाई में, तेरी यादें पास आती हैं,
आंसुओं के सागर में, तेरी तस्वीर बस जाती है।

तेरे बिना ये दिल, अधूरा सा हो गया है,
जैसे प्यासा रेगिस्तान, बिन पानी सा हो गया है।

तेरी हँसी की गूंज, आज भी कानों में गूंजती है,
तेरे स्पर्श की यादें, ह्रदय को विरह से चीरती है।

ऐ मेरे हमसफर (दिकु), तेरे बिना ये जीवन बेरंग है,
हर पल तेरी यादों में, प्रेम का यह जीवन कढंग है।

वापस आ जाओ दिकु, मेरी जिंदगी को फिर से रंगीन बना दो,
बिखर गया है प्रेम का जीवन, इसे अपने प्रेमरूपी पुष्पों से फिर से सजा दो

चिकित्सक है, देवदूत

निस्वार्थ सेवा का प्रतीक,
जो दर्द को हर लेता है।
वह चिकित्सक है, देवदूत सा,
जो जीवन को संवार देता है।

संजीवनी हाथों में लिए,
हर रोग से लड़ता है।
दिन-रात मेहनत करता,
हर मरीज़ को नवजीवन देता है।

उसकी हिम्मत और दया,
हर दिल में आशा जगाती है।
चिकित्सक, समाज का वो नायक,
जो हर संकट में काम आता है।

आओ, नमन करें उन वीरों को,
जो हमारी रक्षा में जुटे हैं।
हर चिकित्सक को सम्मान दें,
जो हमारे जीवन के सच्चे मित्र हैं।

तुम्हारी मुस्कान

सुनो दिकु…

तुम्हारी मुस्कान की यादों में इस तरह खोया हूँ,
जैसे मैं तुम्हारे सामने बैठकर ही अपनी वेदना पर रोया हूँ।

हर पल तुम आती हो नजरों के सामने, हर बार तुम्हारा एक नया स्वरूप,
यही भर देता है मेरे दिल में अवर्णीय सुख की धूप।

बिछड़े हम, परन्तु आज भी जब मेरी आँखें खुलती है,
तुम्हारी मुस्कान मेरे रोम रोम में ताज़गी की रोशनी बिखेरती है।

गुजरती है मेरी रातें,
तुम्हारी हंसी के संग।
तुम आज भी इस कदर जुड़ी हो मुज़ से हर पल,
जैसे मेरा एक अभिन्न अंग।

दूर हो तुम अब मुझसे,
पर तुम्हारी यादें होती हैं हमेंशा मेरे पास,
तुम्हारी मुस्कान ने ही बनाया मेरे जीवन के हर एक वक्त को खास।

बीते लम्हों का सबसे बड़ा सहारा हो तुम,
तुम्हारी मुस्कान सा शीतल मुज़ समंदर का किनारा हो तुम।

सुना पड़ा जीवन

सुनो दिकु….

तुम्हें कैसे बताऊं, कैसे समझाऊं, मेरे दिल की ये बातें।
तुम बिन अधूरी हैं मेरे जीवन की सारी सौगातें।

तन्हाई में जब खो जाता हूं,
यादों में बस तुम ही नजर आती हो।
हर खुशी फीकी लगती है,
जैसे दिया बिन बाती हो।

साँसें भी अब भारी सी हो जाती हैं।
तुम्हारे बिना जीने में मुश्किल सी हो जाती है।
तुम्हारी हंसी की गूंज, वो मीठी बातें, तुम्हारे चेहरे की चमक में खोकर,
ये आँखें अब धुंधली सी हो जाती हैं।

काश तुम तक पहुंच पातीं मेरे दिल की ये अनकही बात।
तुम्हारे बिना मेरा हर पल है सूना, सुना है हर दिन और हर रात।

लौट आओ मेरी जिंदगी में,
फिर से बस जाओ पहले की तरह दिल में,
तुम बिन अधूरी है मेरी दुनिया,
तुम बिन कुछ भी नही रखा अब इस जीवन में।

तू साथ चल तो सही

सुनो दिकु……

तू साथ चल तो सही, बदल जाएगी ये राहें सारी,
मेरे दिल की धड़कनें, बन जाएंगी तेरी वफ़ा की प्यारी।

तू साथ चल तो सही, वीरानियां महक उठेंगी,
तेरे कदमों की आहट से, ये गलियां चहक उठेंगी।

तू साथ चल तो सही, दिन में भी चाँदनी छा जाएगी,
तेरी मुस्कान से मेरे मुरझाये दिल में ताजगी आ जाएगी।

तू साथ चल तो सही, सृष्टि का हर रंग बदल जाएगा,
तेरे साथ की रोशनी से, अंधेरों का अंत भी संभल जाएगा।

तू साथ चल तो सही, मेरी दुनिया संवर जाएगी,
तेरे बिना जो अधूरी थी, वो कहानी फिर से लिखी जाएगी।

तू साथ चल तो सही, फिर से एक नया सवेरा आएगा,
थका, हारा और किस्मत के आगे टूट चूका हुआ प्रेम,
ज़िन्दगी को पीछे कर तेरे लिए पूरी दुनिया से लड़ जाएगा।

एक राही

सुनो दिकु….

सागरों में अनगिनत गोते लगाकर भी, मैं किनारा ही हूँ।
तुमसे वर्षों से दूर होकर भी,
आज भी मैं तुम्हारा ही हूँ।

स्वप्न भी अगर आता है जुदाई का,
उसमें भी तुम्हें खोने से डरता हूँ।
हर पल, हर घड़ी, बस तुम्हारा ही इंतज़ार करता हूँ।

जिंदगी की राहों में, मैं मुसाफिर बन कर चलने लगा।
तुम्हारी यादों की खुशबू के संग,
मैं जीवन प्रवाह में बहने लगा।

दिल में तुम्हारी तस्वीर और आँखों में तुम्हारे सपने सजाए हैं।
मैंने एक-दूजे से दूर रहकर भी हमें सम्पूर्ण बनाए हैं।

तुमसे दूरी का विरह होते हुए भी, नज़रों में सिर्फ तुम ही बसी हो।
हर मोड़ पे, हर सफर में, जैसे तुम्हारी ही खुशबू सजी हो।

हर कदम पे तुम्हारा नाम, हर साँस में तुम्हारा एहसास रहता है।
इस राही का सफर, बस तुम्हारे इंतज़ार से ही खास रहता है।

फासले चाहे हों हजारों, दिल की दूरी होने नहीं दूंगा।
एक राही की तरह, हर मोड़ पर तुम्हारी राह तकता रहूंगा।

तुम जहाँ भी हो, खुश रहना, यह दुआ हर रोज करता हूँ,
तुमसे दूर होकर भी, मैं हर पल तुम्हीं से जुड़ा रहता हूँ।

सम्पूर्णता में पूर्णता

सुनो दिकु….

तुम्हारे चेहरे की मासूमियत में, मुझे संसार नजर आता है,
तुम्हारी हंसने की आवाज में, मधुर संगीत सा झरता है।
तुम्हारी आँखों का जादू , कहता दुनिया की हर कहानी है,
तुम्हारी बातों में छुपी हुई, मेरे दिल की हर बानी है।

तुम मेरी प्रार्थना का फल हो, मेरी हर सुबह की रौशनी,
तुम्हारी यादों में खोया रहता हूँ, जैसे बादलों में छुपी हो चाँदनी।
तुम्हारी बाहों के आलिंगन में, मुझे स्वर्ग की अनुभूति होती है,
तुम्हारी मुस्कान के आँचल में, मेरी पूरी सृष्टि सोती है।

तुम्हारी हर अदाओं में छिपी, एक अनोखी खूबसूरती है,
तुम संग ही मेरी सरलता ज़रने की भाँती ज़रती है।
तुम ही मेरा धड़कता दिल हो, और तुम ही मेरी सांसों का संगीत,
तुम्हारे बिना अधूरी रहती, मेरी जिन्दगी की हर एक प्रीत।

तुम ही मेरी रचनाओं का सार हो, हो तुम ही मेरी कविताओं का अर्थ,
तुम बिन यह जीवन अधूरा, तुम बिन मेरी धडकती साँसे भी है व्यर्थ।
तुम्हारी संगति में ही, सम्पूर्णता में पूर्णता का सार है,
तुम्हारे ह्रदय में जीवित मेरा स्थान, वही मेरे जीवन का सच्चा और अनमोल उपहार है।

मैं

सुनो दिकु…

मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम,
जो तुम्हें बेहद प्यार करता है,
तुम से बिछड़े सालो हुए, फिर भी तुम्हारा इंतज़ार करता है।
तुम हो दूर, पर दिल में नजदीक बसी हो,
तुम्हारे नाम से ही यह दिल धैर्य से धड़कता है।

मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम,
जिसे तुम्हारे बिना यह जीवन अधूरा सा लगता है,
हर पल तुम्हारे इंतज़ार में, दिल ये विरह की आग में जलता है।
तुम्हारी यादों की छांव में वोह सुकून पाता है,
तुम्हारे लौट आने की उम्मीद में हररोज़ दर्द का कडवा घूंट पी जाता है।

मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम,
जो हर सुबह सूरज की किरणों में तुम्हें खोजता है,
हर रात तारों की चमक में तुम्हें सोचता है।
तुम्हारी एक मुस्कान, तुम्हारी एक झलक की चाहत में,
आज भी वहीं खड़ा रहकर जहाँ से तुम जुदा हुई थी,
तुम से मिलने की राह में कतरा कतरा अपना दम तोड़ता है।

मैं प्रेम हूँ, वही प्रेम,
जिसका परिचय ही प्रेम है,
जिस की चल रही टूट टूटकर सांस है,
तुम्हारे बिना भी, तुम से मिलने की जिसे आस है।
जो तुम्हारे लौट आने की राह में अडिग खड़ा है,
और जिसे आज भी तुम लौटोगी, इस बात पर अटूट विशवास है।

तुम्हारी यादों में

तुम्हारी यादों में, मेरा मन डूबा हुआ है,
आँखों में आँसू, दिल में तूफान छुपा हुआ है।
न जाने कैसा फासला हो चुका है,
हर लम्हा, हर एहसास, तेरे नाम की याद में रूठा हुआ है।

तुम्हारे बिना ये दिन नहीं होते पूरे,
रातें जागती हुई, सपने हुए कच्चे-अधूरे।

तुम्हारी हंसी की गूँज,
अब भी कानों में बजती है,
तेरे बिन, हर खुशी अधूरी लगती है।

वो बातें, वो मुलाकातें,
हर पल की वो प्यारी सौगातें।
अब भी दिल के हर एक कोने में बसी हैं,
तेरे बिना मेरी साँसे भी बीच मझधार में फंसी हैं।

आज यादों की बारिश हो गयी,
बंद आंखों से तेरी तस्वीर बह गयी।
दिल से बड़ी लंबी सी एक आह निकली,
और आँखें मेरी अश्रु की धारा बनकर रह गईं।

काश, तुमसे मिल सकूं फिर से,
अनकहा हे बहुत कुछ, वह कह सकूं फिर से।
हे भगवान, ये दूरी अब तो मिटा दें,
मुझे मेरी दिकु से एकबार मिला दें।

वो लम्हें

वो लम्हें जब हम संग-संग चलते थे,
हर खुशी, हर ग़म, तुमसे ही सजते थे।

अब भी यादों का दीप जलता है,
मेरे दिल में केवल तुम्हारा ही नाम पलता है।

आँखों में उम्मीद और दिल अब भी प्यार में है,
सुनो दिकु, प्रेम आज भी तुम्हारे इंतजार में है।

कहाँ गए वो दिन

सुनो दिकु…..

कहाँ गये वो दिन, जब हम साथ चलते थे,
तुम्हारे बिना आज ये सड़कें भी सुनी हो जाती है।

वो हँसते-मुस्कुराते पल के अचानक बिखर जाने से,
तुम्हारी याद में आज भी मेरी आँखें नम हो जाती है।

तुम संग हर सुबह, हर मौसम सुहाना लगता था,
अब तो बस ख़्वाबों में तुम्हारा चेहरा नजर आता है।

वो बातें, एकदूजे को कभी ना छोड़ने के वादें,
यही सब याद कर, मेरा दिल तन्हा होकर बिखर जाता है।

तुम्हारी हँसी की खनक, जो अब कहीं खो गई,
तुम्हारे बिना ये दुनिया कितनी वीरान हो गई।

तुम बिन ये मौसम भी अब उदास से लगते हैं,
फूल तो खिलते हैं, पर उनमें खुशबू के एहसास नहीं मिलते हैं।

अँधेरी रातो में मेरी आखें रोते हुए सो जाती है,
तुम्हारे बिना आज ये सड़कें भी सुनी हो जाती है।

प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए

दिकुप्रेम

सुनो दिकु…..

लफ्ज़ नही है मेरे पास बयान करने के लिए अहमियत तुम्हारी

यह सच है कि बिना तुम्हारे ज़िंदगी अधूरी है हमारी

पता है मुजे कि तुम चाहकर भी मेरे साथ नही चल सकती

पर यकीन मानो दिकु

मेरे लिए तुम ही हो मेरी दुनिया सारी

हर रूप में बस आप हो

हर रूप में बस आप हो,
हर साँस में बस आपका एहसास है।
जीवन की इस पगडंडी पर,
सिर्फ आपके कदमों का ही विश्वास है।

बिछड़न का वो लम्हा,
आज भी दिल में टीसता है।
हर धड़कन में आपकी सूरत,
हर नजर में बस आपका ही अक्स बसता है।

प्रेम नामक ये दिल,
आपके बिना अधूरा सा है।
यादों की बारिश में भीगता,
यह मन बस आप ही का प्यासा है।

दिन में आपका नाम लेता हुआ,
रातों को चाँद से बातें करता है।
सपनों में भी आपकी ही सूरत,
जैसे चाँदनी की रौशनी बिखेरता है।

हर गीत में बस आपकी धुन,
हर लफ्ज़ में बस आपका नाम है।
जीवन के इस सफर में,
आपके बिना आराम भी हराम है।

हर रूप में बस आप हो,
हर ख़्वाब में बस आप हो।
प्रेम के जीवन की हर इच्छाओं में,
इंतज़ार भरी आखों में सिर्फ और सिर्फ आप हो।

तुम ही सर्वस्व

तुम्हारी यादों का सिरा थामे,
मैं जीवन की राह पर चला हूँ।
बिछड़े हुए अरसा हो गया,
पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है।

तुम्हारे बिना ये दिल उदास है,
तन्हाई का आलम बहुत ही गहरा है।
आँखों में बसे हैं हसीन ख्वाब,
पर हकीकत में घना अंधेरा है।

सन्नाटा तो हो गया तुम्हारे जाने के बाद जीवन में,
पर शायद कड़े इम्तिहान अभी बाकी हैं।
बिछड़े हुए अरसा हो गया,
पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है।

बदलते मौसम, आती-जाती हवाएँ,
तुम्हारी खुशबू को संग लाती हैं।
पर तुम्हारे वो परोक्ष स्नेहिल स्पर्श की यादों से,
मेरी अंदरूनी रूह कांप जाती है।

तुम्हारे बिना ये जिंदगी,
जैसे माला में मोतियों की शान अभी बाकी है।
बिछड़े हुए अरसा हो गया,
पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है।

सपनों में तुमसे रोज मिलता हूँ,
अपने दिल का हर हाल तुम्हें बतलाता हूँ।
आँख खुलते ही अकेलापन पाकर,
मैं फिर से उम्मीद का दिया जलाता हूँ।

जीवन की इस कठिन डगर पर भी,
तुम्हारी राह में मैं अडिग खड़ा हूँ,
न जाने इसमें कितने तूफान अभी बाकी हैं।
बिछड़े हुए अरसा हो गया,
पर तुम्हारे इंतज़ार में जान अभी बाकी है।

प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए

प्रकृति

प्रकृति की गोद में बसी है तुम्हारी यादों की छाँव,
हर हरे पत्ते पर लिखा हुआ है तुम्हारा नाम।

चमकते सूरज की किरणों में देखूँ तुम्हारा चेहरा,
झरनों की मधुर ध्वनि में सुनूँ तुम्हारी बातें।
फूलों की महक में तेरी खुशबू सी लगती है,
हवाओं की सरगम में गूँज रही हमारी मुलाकातें।

चाँदनी रात में जब तारो की चमक सजती हैं,
उनकी रोशनी में तुम्हारी हँसी की झलक मुझे दिखती है।

बादलों की छाँव में, जब ठंडी हवा बहे,
तुम्हारे स्पर्श का एहसास दिल को छू जाता है।
बारिश की बूँदों में, जब धरती भीगती है,
तुम्हारे प्यार की नमी से मेरा मन भी भीग जाता है।

प्रकृति के हर रंग में, हर रूप में,
तुम्हारा ही अक्स मुझे दिखाई देता है।
तुम्हारी यादों के साये में, मैं जीता हूँ,
तुम लौट आओगी एक दिन,
प्रकृति का हर पल, हमेंशा मुझे यही कहता है।

तुम्हारे बिना ज़िन्दगी

बिना तुम्हारे ज़िन्दगी बोज बन गयी है,

हर ख़ुशी का एहसास अब खो सा गया है।

तुम्हारे बिना सुखी बेजान सी हो गयी है आँखें,

मेरा जीवन अंधकार में सो सा गया है।

तुम बिन ये लम्हे वीरान हो गए,

ख्वाबों के शहर भी अब तो सुनसान हो गए।

तुम्हारी हँसी की मिठास अब सिर्फ यादों में है,

तुम्हारे साथ बिताए पल महज़ अब ख्वाबों में हैं।

रातें भी अब अंधेरी और लम्बी लगती हैं,

सुबह भी अब जैसे वीरानी में ढलती हैं।

दिल की धड़कन भी अब बेमानी सी हो गई है,

तुम्हारे बिना ज़िन्दगी एक कहानी सी हो गई है।

तुम्हारे बिना हर दिन अधूरा सा लगता है,

हर पल अब बस तन्हा तन्हा सा लगता है।

तुम्हारी यादें ही अब मेरा सहारा हैं,

तुम्हारे बिना ज़िन्दगी बस केवल गुज़ारा है।

काश फिर से लौट आए वो प्यारे प्यारे दिन,

एकपल भी नहीं बीतता था मेरा तुम्हारे बिन।

पर अब तो बस ये उम्मीद ही बाकी है,

की कहीं न कहीं, किसी मोड़ पर,

मिल जाएगी मेरी ज़िन्दगी फिर से मुझे।

रोशन हो जायेंगे मन के दिये,

जो चल रहे है रो रो कर बुझे बुझे।

तुम्हारे बिना ज़िन्दगी तो है, पर जैसे नहीं है,

प्रेम तुम्हारे इंतज़ार में जहां था, आज भी वहीँ है।

“प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए”

इंतज़ार पागल कर देता है

इंतज़ार की राहों में,
बसी है अधूरी ख्वाहिशें।
यह कायनात कर रही हरपल,
मेरे सब्र की आज़माइशें।

दिल की धड़कनों में,
बसी है अजीब-सी चाहतें।
ज़ख्म खुले पड़े है मेरे,
न जाने कब मिलेगी उनको राहतें।

नही आता समझ अब की,
कौन-सा और कब वह पल आएगा।
जो इंतज़ार का गहरा संगम है,
उसे शांत कर मेरी वेदनाओं को सुलझाएगा।

रही वह अधूरी मुलाकात,
और रहा एक अधूरा-सा में।
अपनी रोशनी ढूँढने के लिए भटक रहा,
इंतज़ार मैं तिमीर अंधेरा-सा में।

सच्चाई ये है,
इंतज़ार इंसान को पागल कर देता है।
मन की गहराइयों को तोड़कर,
इंसान को यह चकनाचूर कर देता है।

तुम्हारे बगैर दिल बेहाल है

तुम्हारे बगैर दिल बेहाल है,
क्या कहूँ,तुम्हारी यादों का ज़हर,
मेरे दिल को किस तरह सताए।

रातों की गहराई में खोया हुआ इश्क तुम्हारा,
इश्क की छाया में ही मुझे जीने को तरसाए।

तन्हाई की चादर में लिपटे ये ख्वाब मेरे,
तुम्हारे साथ के बिना,
मेरा जीना मुश्किल सा बन जाए।

अपना ख्याल रखना

सुनो दिकु…..
ज़िन्दगी के सफर में,
जब दूरियाँ अधिक हो जाती हैं,
अगर प्रेम सच्चा हो, तो एहसासों की मिठास और भी मजबूत हो जाती है।

सोचता हूँ, दिन-रात,
तुम्हारे साथ बिताये हुए पलों को,
मेरी तो बहुत फिक्र करती थी,
पर अपना ख्याल बिल्कुल नहीं रखती थी।
सब को गहरी नींद सुलाकर,
थकान और दर्द से भरी आँखों से देर रात तक जागती थी।

तुम्हारी यादों का सहारा,
हर क्षण मेरे पास है,
दूरियों की परछाइयों में भी,
तुम्हारा साया पल-पल मेरे साथ है।

हम ज़रूर मिलेंगे एक दिन,
पर जब तक हम फिर से मिल नहीं जाते,
तुम यह जान लेना।
तुम महेनत करती हो अथाह,
पर कर लो थोड़ी सी अपनी भी परवाह,
बस इतनी सी मेरी विनंती मान लेना।

प्रेम का परिश्रम

सुनो दिकु…..

कोई कसर ना रहेगी मेरी,
तुम तक मेरी बात पहुंचाने में।

यह ज़माना चला है अब तो,
हमारे प्यार को आज़माने में।

ना जाने कौन से गुनाह हो गए है मुझसे जो ऐसी सज़ा मिली,
कायनात ने कहर ढा दिया दिल के मयखाने में।

माना सम्पूर्ण सही नहीं होता मैं हर बार,
पर मैंने बेईमानी नहीं की थी तुम से प्यार निभाने में।

तुम कहती थी ना कि तुम्हें खोना नहीं चाहती हूँ में,
तो फिर लौट आओ ना, फिर से “दिकुप्रेम” के आशियाने में।

नवरात्रि

आओ ना नवरात्री के,
पावन पर्व में।
प्रेम का रंग बिखेरें हम सर्व में।

संगीनी के रूप में तुम आई हो मेरे जीवन में।
हर कदम पर मेरी राहें रोशन की तुम ने,
फिर भी ना बांधा मुझे किसी बंधन में।

तुम संग नवरात्री की धूम में नाचूं,
तुम बिन तो मेरे पैर भी थम जाएं।
ना ताल बैठें, ना ही बैठें राग इस जीवन में,
मुझे अकेला देख सितारों की महफ़िल भी हंसी उडाएं।

तुम ही हो शक्ति, तुम ही हो संगीत, तुम ही हो मौज इस जीवन की।
तुम ही हो अमृत की बौछार, मेरे मन के समुद्र मंथन की।

गले में हरा धागा,
बाँहों में है बाजरे की माला।
तुम्हारी खुशबू से हो जाती है,
सुनी-पड़ी गलियां भी मधुशाला।

तुम संग नवरात्री की हर रात है सुहानी।
बिना तुम्हारे बन जाएगी यह भी मेरे लिए एक कहानी।

इस सुंदर वातावरण में,
तुम्हारी आत्मा बसी है,
गंधर्व में।
आओ ना नवरात्री के,
पावन पर्व में।
प्रेम का रंग बिखेरें हम सर्व में।

प्रेम

प्रेम नहीं सिमटता व्यक्ति में,
सत्य है।
प्रेम में विलीन होना निश्चित है,
सत्य है।
बीते कल की चिंताओं को भूलकर,
उस प्रेम के समंदर में गोते खाये जा रहा हूँ।
वह नहीं निभा सकते किसी कारणवश,
इसलिये एकतरफा इश्क़ निभाये जा रहा हूँ।

प्रेम कोई वस्तु नहीं,
जो स्थानांतरित किया जाता है।
वह संवेदना का सार है,
जिसे दिल से महसूस किया जाता है।

उनकी एक हंसी और ख़ुशी देखने के लिए,
प्रतीक्षा की आग अपने सीने में समाए जा रहा हूँ।
में उनके लौट आने की राह को प्रेमरूपी पुष्पों से सजाए जा रहा हूँ।

अपने स्वार्थ को छोड़कर,
प्रेम को दिल से निभाना चाहिए।
दोनों को दूर रहकर भी एहसास बरकरार रहें,
ऐसे कुछ लम्हों को अंतर्मन से बिताना चाहिए।

पाने की लालसा नहीं मुज़ में,
मात्र उनकी ख़ुशी को अपनी आँखों से देखने के लिए,
हर कठिन पल को बड़ी प्रतीक्षा से बिताए जा रहा हूँ।
एकतरफा ही सही पर,
उनकी ख़ुशी के लिए में यह रिश्ता दूर रहकर भी निभाएँ जा रहा हूँ।

लौट आओ

खोया हुआ हूँ तुम्हारी यादों में,
तन्हाई की धुंध ऐसी छाई है,
की दुनिया की हसीं चमक सह नहीं पाता हूँ।

मुश्किल हो रहा है जीना अकेले,
मन में भवंडर उठा है यादों का,
मजबूर हूँ, लफ़्ज़ों में किसी से कह नहीं पाता हूँ।

तुम तक अपनी बात पहुँचानी है,
यही आख़री ख्वाईश है मेरी,
इसलिए हर जगह,
न जाने क्या क्या लिख जाता हूँ।

मज़ाक और हंसी आती है लोगों को,
मुझे इस हाल में देखकर,
लौट आओ, तुम्हारे बिना अब मैं रह नहीं पाता हूँ।

जब तुम आओगी

जब तुम आओगी, तब सजेगा ये जहाँ।
फूलों से भरीं राहें होंगी,
खुशबू से महकेगा ये आसमां।

चिरागों की लहरों में, रातों को रोशनी झगमगाएँगी।
तारों की बूंदें, फिर से नएं सपनों को सजाएगी।

हवाओं में बहेगी स्वर्गीय ध्वनि की धारा।
दिलों को छू जाएगा सब को वो मधुर गीत हमारा।

हंसते हंसते गुज़रती हुई, सभी खुशियों की बातें होगी।
मस्तिष्क से निश्चिंत, वैसी हर पल की रातें होगी।

जब तुम आओगी, लहरों से झूम उठेगा आसमान।
प्रेम की बौछारें बरसेंगी, हर जगह बनेगा एहसासों का गुलिस्तान।

तुम्हारे आगमन से रंग जाएगा ये जीवन मेरा।
प्यार की नई कहानी लिखेगा,
अंधकार को चीरता हुआ नया सवेरा।

न जाने कितने समय से इन खुशियों की आस में हूँ।
अब देर ना करो दिकु,
टूटा हुआ, मजबूर, सहमा हुआ,
में अर्धजीवी, केवल तुम्हारे लौट आने की तलाश में हूँ।

कवि : प्रेम ठक्कर “दिकुप्रेमी”
सुरत, गुजरात

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नयनों के तारे आजा | Naino ke Tare Aaja

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