ठाकुर आनंद सिंह शेखावत जी | Thakur Anand Singh Shekhawat ji
ठाकुर आनंद सिंह शेखावत जी
( Thakur Anand Singh Shekhawat ji )
सनातन संस्कृति के पोषक भरा दिव्य ज्ञान का भंडार।
नवल कुंज हो संतों की सेवा बरसती हरि कृपा अपार।
आनंदसिंह शेखावतजी मृदुभाषी गुणी अरू विद्वान।
गोपालक गौ सेवक प्यारे कवियों का करते सम्मान।
यज्ञ हवन देव पूजा अर्चना सनातन पुरुष जहां प्रधान।
तुलसी आंवला घर-घर बांटे गौ सेवक का करें सम्मान।
महापुरुषों की जयंती पावन तुलसी अरू कालिदास।
राणा प्रताप का शौर्य अदम्य जन मंगल गाए खास।
नवल धरा जन जन को प्रिय नवल कंवर प्रिय आप।
कंवल कंवर मां पूजिता ममतामयी हरे सब संताप।
पिता प्रभु सिंह प्रेरणा सिंधु सहज सरल हुआ तन मन।
मानवता की मंगलकामना उच्च विचार जगमग जीवन।
कुशल लेखनी शारदे साधक वाणी पुत्र मन को भाए।
शब्द सुधा रसधार बहती महफिल को महका जाए।
चंदन तिलक करें औरों को सुरभित सारी सभा करें।
अनुभवों का सार प्रेम से ज्ञान से जग में आभा भरे।
बांट रहे प्रेम सलोना आनंदसिंह जी आनंद अपार।
नवलगढ़ के गौरव पुरुष यश किर्ती वैभव भरमार।
सत्कर्म सद्भाव शालीनता स्वर्ण सम है मधुर वाणी।
संत सेवा ईश्वर भक्ति गौ भक्त साधक मां कल्याणी।
जनमंगल सेवा संस्थान जन जन का कल्याण करें।
सदाचरण शील स्वभाव सनातन धर्म में प्राण भरे।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )