वक्त की रफ्तार | Kavita waqt ki raftar
वक्त की रफ्तार
( Waqt ki raftar )
तेजी से बीता जाता है पल पल रे संसार
शनै शनै यूं बदल रही है वक्त की रफ्तार
माना सड़के सुंदर हो गई लबों पर लग गए ताले
पत्थर दिल दिखाई देते अब कहां गए दिलवाले
भागदौड़ से भरी जिंदगी ये वक्त बदलता जाता
चंद सांसों का खेल सारा समय नहीं रूक पाता
हाथी घोड़े महल राजा के सैनिक रखते बेशुमार
कालचक्र में समा गए हैं बदली वक्त की रफ्तार
कलयुग डिजिटल हुआ सांकेतिक भाषायें सारी
कोरोना की गाज गिरी कैसी आई भीषण महामारी
त्राहि-त्राहि फैली दुनिया में मच गया सब हाहाकार
समय बदलते देर ना लगे बदले वक़्त जब रफ्तार
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )