कविताएंँ रहेंगी | Kavitayen
कविताएंँ रहेंगी……
( Kavitayen rahengi )
हृदय को संवेदना की
कसौटी पर कसेंगी
कुछ रहे न रहे
कविताएंँ रहेंगी
मेरी- तेरी ,इसकी -उसकी,
मुलाकातें ,जग की बातें,
जगकर्ता के क़िस्से कहेंगी
कुछ रहे न रहे
…….कविताएंँ रहेंगी।
भागते हुए
वक़्त की चरितावली
संघर्ष की व्यथा -कथा
विकास की विरुदावली
कभी शांँति की
संहिता रचेंगी
कुछ रहे न रहे
….. कविताएंँ रहेंगी।
होगा जब अरुणोदय
क्षितिज पार होगा अस्ताचल
मौसम पलकों पर ठहरेंगे
स्मृतियों के पल संँवरेंगे
मन का क्रंदन
भावों का मंथन
खुशी का माथ टीका
लगा महकेंगी
कुछ रहे न रहे
…..कविताएंँ रहेंगी।
( साहित्यकार, कवयित्री, रेडियो-टीवी एंकर, समाजसेवी )
भोपाल, मध्य प्रदेश