Subah ki gungun
Subah ki gungun

बाल कविता – सुबह की गुनगुन

( Bal Kavita – Subah ki gungun ) 

 

चिड़िया चहकी चूंँ चूंँ चुन
सुबह हुई अब जागो तुम
करो मातृभूमि,माँ-पिता को नमन
कुछ प्रभु चरणों में ध्यान
उसके बाद ही शुभ काम
सुनो दादी की प्रार्थना धुन।

क्यूँ न स्कूल जाने से पहले
थोड़ा योग भी कर लो तुम
सूर्य नमस्कार ,व्यायाम
नाश्ता और कुछ आराम।

अब स्कूल जाने की तैयारी
रखो बस्ते में चीजें सारी
देखो टिफिन कहीं न हो
यूंँ ही भारी, न हो सिर्फ
फ़ास्ट फ़ूड, पूरी -कचौरी!

हो संतुलित, पौष्टिक आहार
हरी सब्जियांँ,सलाद की बहार
कुछ मीठा, फलों का आहार
और होमवर्क भी किया है न!
अब बनोगे आप सबसे होनहार।

 

@अनुपमा अनुश्री

( साहित्यकार, कवयित्री, रेडियो-टीवी एंकर, समाजसेवी )

भोपाल, मध्य प्रदेश

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