काव्य कलश | Kavya Kalash Kavita
काव्य कलश
( Kavya Kalash )
अनकहे अल्फाज मेरे कुछ बात कुछ जज्बात
काव्य धारा बहे अविरल काव्य सरिता दिन रात
काव्यांकुर नित नूतन सृजन कलमकार सब करते
साहित्य रचना रचकर कवि काव्य कलश भरते
कविता दर्पण में काव्य मधुरम साहित्य झलकता
साहित्य सौरभ से कविता का शब्द शब्द महकता
आखर आखर मोती बनकर शब्दाक्षर सा दमके
वाह वाह क्या बात है काव्य प्रभा बन चमके
काव्य माधुरी मधुर सी महकती कलम की सुगंध
साहित्य छटा बिखेर दी बनकर गीत ग़ज़ल छंद
वक्त की आवाज यह समय की पुकार है
साहित्य आकांक्षा यही समृद्ध रहे संसार है
काव्य पथिक चल पड़े साहित्य विकास की ओर
ढाई अक्षर प्रेम के सदा रहे सिरमौर
काव्य गोष्ठी काव्य संगम काव्य कॉर्नर प्यारा
काव्य सृजन कर कलमकार भी बनता मात दुलारा
लोक संस्कृति को मिला साहित्य धरा उत्थान
क्रांतिवीर गाता सदा राष्ट्रीय गौरव गान
दैनिक देशभक्ति करे राष्ट्रधारा का सम्मान
राष्ट्र उन्नति पथ बढ़े गायें तिरंगा गुणगान
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )