उसकी न जाने क्यूँ दिल से याद नहीं जाती
उसकी न जाने क्यूँ दिल से याद नहीं जाती

उसकी न जाने क्यूँ दिल से याद नहीं जाती

( Uski na jane kyon dil se yad nahi jati )

 

उसकी न जाने क्यूँ दिल से याद नहीं जाती

ग़म की जिंदगी से ही बरसात नहीं जाती

 

दिल से भुला दें उसको रब जो न बना मेरा

यादों भरी अब तो काटी रात नहीं जाती

 

क़िस्मत में न जाने क्या लिक्खा है बता ए रब

ग़म दर्द की जीवन से सौगात नहीं जाती

 

दिल भरता नहीं मेरा फ़िर रोज़ उदासी से

वो जो छेड़कर दिल के नग्मात नहीं जाती

 

मैं चोट लिये दिल पे यूं ही न भटकता फ़िर

देकर जो मुहब्बत में वो मात नहीं जाती

 

की फ़ासिले इतनी “आज़म” बढ़ गये उससे अब

उससे कहीं दिल की कोई बात नहीं जाती

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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