काव्य के स्वर्णिम अक्षर | Kavya ke Swarnim Akshar

काव्य के स्वर्णिम अक्षर

( पुस्तक समीक्षा ) 

 

अभिव्यक्ति को दर्शाती पुस्तक “काव्य के स्वर्णिम अक्षर” काव्य संग्रह के प्रणेता बहुआयामी प्रतिभा के धनी सुविज्ञ कवि रमाकांत सोनी सुदर्शन को सादर अभिनंदन!

‘काव्य के स्वर्णिम अक्षर’ पुस्तक संकल्प साधना, आराधना, सम्यक्त विचार, गीत, गजल, दोहे, छंद, कुंडलिया आदि समरसता का एक अनुपम गुलदस्ता है जिसमें वीर रस, भक्ति रस, राजस्थानी कविताएं अपना प्रभाव दिखा रही है।

मांँ वीणापाणि की आप पर अपार कृपा है। तदर्थ आपकी कीर्ति को नमन करते हुए साधुवाद किए बिना नहीं रह सकता। आपका यह अद्भुत संग्रह सृजन, मंथन, साहित्य, संस्कृति और चिंतन मनुष्य में मान और मुल्यो को आत्मसात कराता है।

आपकी रचनाओं में जितनी सहजता, सरलता, सुबोध एवं शालीनता है उतनी ही मार्मिक और व्यापक है। पुस्तक के सुंदर कलेवर के साथ-साथ भाषा का प्रांजल प्रवाह कोमल किसलय भावों की कमनीयता एवं शब्द गुंफन की सुविज्ञता झलकती है।

यह विधा लोक भाषा में दार्शनिक विचारों और संदेशों को जनसाधारण तक पहुंचाने का काम करती है। वही कार्य आपने बखूबी कर दिखाया है। जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम है। आप बहुत धन्यवाद के पात्र है। जनसाधारण को साहित्य अनुरागियों को आपके मार्गदर्शन से बहुत कुछ अपेक्षाएं है।

काव्य और साहित्य के क्षेत्र में आप सदा सर्वदा उन्नति शिखर पर उत्तरोत्तर प्रगति करते जाए इन्हीं शुभकामनाओं के साथ!

 

समीक्षक: कवि संत कुमार सारथि
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान

यह भी पढ़ें :-

वन गमन- एक अनुभूति | Book Review

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *