खैराती अस्पताल का मरीज

खैराती अस्पताल का मरीज | डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव की कलम से

खैराती अस्पताल का मरीज

वे तीन डाॅक्टर थे ओर वह एक मरीज था । मरीज डाॅक्टरों को एक घन्टे से देख रहा था। पर वे मरीज को नहीं देख रहे थे। वे तीनो एक दूसरे को पवित्र जोक्ससुना कर ढहाके लगा रहे थे जिसमें मरीज का दर्द पिघल रहा था।

जब मरीज के शरीर का दर्द सहन शीलता से अधिक बढ़ गया तो शब्दों के माध्यम से टपकने लगा साहब मुझे देख लीजिये ।

ऐसे फोटो जेनिक भी नही हो। एक डाक्टर बोला

बाकी दो इस फिरके पर हंॅस दिये तुमको गलत फहमी है कि सरकारी अस्पताल में इलाज होता है । हम लोगो की क्लिनिक में आ जाओं। देखो तुम्हारे अलावा शहर का कोई भी आदमी यहां दिखाने नहीं आया ।

सबको मालूम है कि सरकारी अस्पतालों में अपमान के सिवा कुछ नहीं मिलतादूसरंे डाॅक्टर ने इमानदारी से सपाट बयानी की।

मैं गरीब आदमी हॅू इसीलिये इस खैराती अस्पताल में आया हॅॅूउसने कहा 

अच्छा हम क्या भिखारी सेगये बीते है जो यहां रोज आते है ? एक डाॅक्टर तैश में बोला

देख लो बिचारें कोदूसरे ने दरियादिली दिखायी

बोलो क्या तकलीफ है ? एक बोला

जी मैं गिर गया था तो पैर में मोच आ गईगरीब बोला

पहिले कभी गिरे थे ? डाॅक्टर ने पूछा

तुम्हारे परिवार में पहले कोई गिरा था ? दूसरे डाक्टर के फेमिली हिस्टी ली

भूख लगती है कि नही ? पहले डाक्टर ने पूछा

जी भूख तो बहुत लगती है पर खाने नहीं मिलता है गरीब बोला ये सारा जिस्म झुक कर भूख से दुहरा हुआ होगा मैं सिजदे में नही था आपको धोखा हुआ होगा।

एक डाॅक्टर ने दुष्यन्त कुमार को चिपकाया वाह क्या कविता है। तीसरे ने तारीफ की ।

नहीं दुष्यप्त कुमार की गजल है एक डाक्टर ने जवाब दिया 

वही न जिसके एपेन्डिक्स का आपरेशन मैने पिछले साल किया थादूसरे ने कहा

नही ये दुष्यन्त कुमार कई साल पहिले गुजर चुके है प्रसिद्ध शायर थे।

अच्छा तो फिर ये कोई और होंगेंआप्रेशन करने वाले ने कहा ।

पहिले डाक्टर ने गरीब को दर्द की दवा लिख दी 

हुजूर एक्सरा करावा देते पडोसी कह रहा थागरीब बोला

अमीरो के चोचले है तुम्हे अच्छा होना है या एक्सरे करवाना है डाॅक्टर ने डांटा

इतने में क्षेत्र के विधायक आ गये तो तीनों डाॅक्टर विनम्रमा से पिल पिले हो गये । एक ने मरीज को घोड़ा बन कर कुर्सी की जगह पीठ पर विठाल लिया दूसरा किंचित अधिक ही शहद घोल कर बोला मांगीलाल जी गोली तो आप ले ही लीजिये साथ में मुफ्त में एक्स-रे, अल्ट्रा सोनोग्राफी, एमआरआई, सीटी स्केन, और सीरम कोलीस्ट्राल करवा लीजियेतीसरे ने उसे व्हील चेयर पर बिठाला और वार्ड की तरफ ले जाकर दूसरे दरवाजे से बाहर कर दिया।

फिर वे तीनो विधायक के श्री चरणों में साष्टांग हो गये। एक ने कूं कूूं करके पूंछ हिलाई दूसरे ने हें हें करके हाथ जोडे और तीसरे ने पेट पर हाथ रखकर बंदर की तरह गुलाटी लगाई ।

फिर एक डाॅक्टर बोला नहीं नहीं सर, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम तो आप करवा ही लीजिए रिस्क नही लेना चाहिये। आपकी माता श्री एक महिने से बगैर किराया दिये प्रायवेट वार्ड में पड़ी है। हमें उनकी सेवा करके अपनी स्वर्गीय मां की याद आ गई।

वो जों सुन्दरकर नर्स हमारे क्षेत्र में है उसका ट्रान्सफर क्यों कर दिया गया जबकि उसको न मुझसे शिकायत थी न मुझको उससे । अगर विरोधी पार्टी का नेता कहे कि हमारा क्षेत्र बदल दिया जावे तो क्या बदल दिया जावेगाविधायक जी ने बगैर इलेक्ट्रोफार्डियो ग्राम करवाये कहा

इस तरह की टुच्ची हरकत नहीं होनी चाहिये। दूसरे डाॅक्टर ने चाय का आर्डर देकर कहा

चाय में शक्कर चार चम्मच होना चाहिये। मगर विरोधी पार्टी का नेता इतना टुच्चा भी नही हैविधायक जी बोले हम तो अपने विभाग की बात कर रहे थेडाॅक्टर समबेत बोले।

वो तो आपको देखकर ही लगता है । हम आप तीनो का ट्रान्सफर करवा देंगें अगर जनता की सेवा नहीं की तोविधायक जी ने धमकी दी ।

हम आपके पैर तो पड़ ही चुके है औार जनता की सेवा हम आपके सामने कर चुके है। जनता ही आपको गाली देती है डाॅक्टर बोले

और क्या क्या देती है जनता हमेंउन्होने फुसफुसा कर पूछा ।

और कुछ नही कुछ नहीं सरजनता के डर से तीनो डाॅक्टरो ने विधायक जी से कहा

विधायक जी उठते उठते बोले इसजनता छाप भाइयो और बहनो को तो मैं देख लूूॅगा तुम लोगो को भी देख लॅूगा। विधायक जी के जाने के बाद वह मरीज फिर लंगडाता हुआ आ गया। डाॅक्टर झल्ला का बोले क्या चाहता है बे तू। धक्का देकर निकालूॅ या खुद जाता है।

इतने में जिलाध्यक्ष आ गये डाॅक्टर लोग फिर पिचक गये मरीज से बोले बैठिये आपको दुबारा भर्ती करके फिर बोतल लगवा देते है।इतना कह कर एक डाॅक्टर नेे उसे फिर वार्ड की तरफ ले जाकर बाहर निकाल दिया।

डाॅक्टर खडे होकर जिलाध्यक्ष से बोले सर आपका बी.पी. तो नार्मल है नएक ने जिलाध्यक्ष को सादर कुर्सी पर बिठाला। दूसरे से उनको बी.पी. बाधा तीसरे बी.पी. लेने लगा ।

जिलाध्यक्ष बोले आप लोग इतने अच्छे है फिर भी जनता शिकायत करती है कि आप लोग बद्तमीजी से पेश आते है। बाजार की दवाईयां लिखते है। आप ने मुझे तो कभी बाजर की दवाईयां नहीं लिखी ।

आप ये पाॅच रूपये रखिये मैं कभी मुफ्त में जाॅच नही करवाता और दवाईयां नहीं लेता।मैं सर्किट हाउस में खाना खाता हॅू  तब भी तलसीलदार को पाॅच रूपये जरूर देकर आता हॅॅू खाने के खर्च के लिये।

उनकी दरियादिली से डाॅक्टर लोग आकर्ण स्मित हो गये एवं कलेक्टर को उनकी गाड़ी   तक छोड़ने गये। लौटकर आये तो वही मरीज फिर खड़ा था। डाॅक्टर झल्ला कर बोले तू क्या चाहता है बे ।

साले क्या तेरी पिटाई लगाने पर मानेगा। उन्हे कैमरे लिये एक चैथा स्तम्भ आता दिखा वे फिर वे विनम्र हो गये उन्हे डर था कि कहीं उपकी मुद्रा एवं आवाज कैमरे में कैद न कर ली जावे अतः बोले हे जनता आपकी बीमारी का कारण डाॅक्टर नही है। शासन की अव्यवस्था आपकी बीमारी का कारण है।

हम तो इलाज करते है। चलिये आपको फिर वार्ड में भरती करवों देंइतना कह कर डाक्टर फिर बोले फिर उसको वार्ड में ले जाने के बहाने सड़क पर छोड़ आया।

इधर चैथे स्तम्भ ने कहा हमें सब मालूुम है यहां क्या घपले हो रहे है अच्छा ये दवाईयों का परचा लो और बाजार से लोकल परचेज करवा दो।चैथे स्तम्भ जी ने चाय ली और दवाईयां लेकर चले गयेवह मरीज फिर लंगड़ाता हुआ आ गया डाॅक्टरों ने उससे कहा अब कल आना। अस्पताल बन्द होने का समय हो गया है।

✍?

 

लेखक : : डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव

171 नोनिया करबल, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

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