Vyang jal hi jal
Vyang jal hi jal

जल ही जल

( Jal hi jal )

जल की ना पूछो भैया। आजकल तो बहुत जला रहा है। मर कर जलना तो सुना थाl या यूं कह लो जल कर मरना, मगर यह जल तो ह्रदय जला रहा है l और जब ह्रदय जलता है l तो चूल्हा जलने का सवाल नहीं उठता l कहीं नैनों से बरस रहा हैl सारी मेहनत पर पानी फेर के जा रहा है l

जल है ना जल जला, लाकर जला रहा है lयह जलाता भी कुछ खास को है l बाकी के ऊपर तो धनलक्ष्मी की तरह बरसात करता हैl उड़द को अकरा गया l तिल को पसरा गया l

लागत को भी खा गया l अब आने वाली अगले महीने दिवाली हम सब दिया कहां से जलाएंगे l जल ही जल घर के अंदर जल, घर के बाहर जल , खेतों में जल , सरकारी महकमा जल का अवलोकन कर रहा है l

एक जल की बौछार ने कमर के ऊपर पानी कर दिया l गाड़ियां डूब गईl लोग सर पर सामान लिए फिर रहे हैं l
सूर्यनारायण भी कम नहीं है वैसे तो तपा तपा के मारा निहुरे पाते किए तो भी तपाते रहे l भरता बनाते रहे l

शरीर का जल , पसीना बना कर उड़ाते रहेl और जब उनकी जरूरत की आवश्यकता पड़ी तो स्वयं जाकर बादलों में छुप गएl ऐसा लगा जैसे सूर्यनारायण भी जलमग्न हो गए l या नौका विहार को निकल गए l

सुना है, सरकार ,सरकार के आला अफसर हेलीकॉप्टर , हेलीकॉप्टर में बैठकर निरीक्षण कर रहे हैं l भला हो जल का ,सरकारी महकमा , गाड़ियों से हेलीकॉप्टरों में आ गया है l कहते हैं हम उन्नति कर रहे हैं l

अनाथ घूमती गाय भूख में जल रही है l दुख सुनने वाला कौन ,किसी एक ने आपस में बातचीत की घर तो घर होता है गुस्सा क्यों , हा चल अपने घर वापस चलते हैं l तो पता चला उस जलमग्न झरने में जबरदस्ती धकेल रहे हैं l

इससे तो अच्छा की सड़कों पर ही बैठे रहेl जल में डूब के मरे या भूख की आग में डूब के मरेl बंसी धारी है नहीं जो कृपा करें l इससे अच्छा तो किसी की भूख मिटाती l शिकार हो जाती lलम्पी अलग फैल रही हैं l

इंसान रूपी जानवर क्या कम थाl जो यह लंपिया आ गई l 64 करोड़ देवी देवताओं का वास होने के बाद हमें ही बाहर कर दियाl जलमग्न तो होगा ही l एक कहने लगी शायद हमारी आह लग गईl तो दूसरी कहने लगी हम माता है गौ माता साथ देना हमारा काम नही l

इधर जांच कमेटी बैठकर फिर बताएगी l जल ही जल क्यों l जल मग्न गांव में पीने का जल विदेश से मंगवा ले तो नहीं मंगवाना l 14 सदस्य समिति बैठी है , मंथन कर रही हैl यह बांध और डैम साल भर क्यों ना चल पाए l

सीमेंट , रेत बजरी की जगह डस्ट की बना डाली एक ही बौछार में ढह गए l जल की बौछार ने गुडगांव से लेकर मुंबई तक सरकारी महकमे की जुड़ी हुई शाखाओं की पोल खोल कर रख दी l पर हम तो नतमस्तक हैं l

जलमग्न जल मे कुछ घर डहे फसलें चौपट खलिहान खाली पीने योग्य जल को तरसे रिपोर्ट आती ही होगी हजारों करोड़ों की मदद ( फिर भी खाली हाथ ) हो सकता है 2023 तक आ जाए फिर मिलते हैं एक…

❣️

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

कविता गऊ | Gau mata par kavita

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here