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मैं दिल से ख़ूबसूरत हूँ | Khoobsurat Shayari

मैं दिल से ख़ूबसूरत हूँ

( Main dil se khoobsurat hoon )

 

मैं अपने आप में जो आज इक ज़मानत हूँ
किसी की नेक इनायत की ही बदौलत हूँ

जो मुझको छोड़ गया था मेरे भरोसे पर
मैं आज तक ही उसी शख़्स की अमानत हूँ

ज़माना शौक से पढ़ने लगा है यूँ मुझको
मैं उनकी नज़रों में इक इल्म की इबारत हूँ

डिगा सकी न नुमाइश जहान की मुझको
मैं वालदैन के लफ़्ज़ों की जो नसीहत हूँ

जिन्हें मैं दोस्त समझता था हैं वही दुश्मन
उन्हीं के लब पे बना आज मैं शिकायत हूँ

बनाई जिसने है इतनी हसीन यह दुनिया
उसी ख़ुदा की यक़ीनन मैं इक इनायत हूँ

कमी नहीं है मुझे दोस्तों की ऐ साग़र
हज़ारों नज़रों में मैंं दिल से ख़ूबसूरत हूँ

 

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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