खुशी के आंसू | Kavita
खुशी के आंसू
( Khushi ke aansu : Kavita )
खुशियों के बादल मंडराये हृदय गदगद हो जाए
भावों के ज्वार उमड़े खुशियों से दिल भर आए
नैनों में खुशी के आंसू मोती बनकर आ जाते हैं
हर्षित मन के आंगन में आनंद के पल छा जाते हैं
उत्साह उमंगों का सागर उर में उल्लास जगाता है
शुभ संदेश अंतर्मन खुशियों की बौछार बहाता है
आंखों से खुशी के आंसू प्रसन्नता पा छलक जाते
मन की मुरादे पूरी हो शुभ कार्य सिद्ध हो जाते
कठिन परीक्षा तय करके मेहनत रंग दिखाती है
भाग्य सितारे बुलंद हो झोली में सफलता आती है
खुशियों का पारावार नहीं मुस्कानों के मोती झरते
खुशी से आंसू निकल पड़े भावों में आनंद भरते
खुशियां भी क्या खुशियां नैनों से झलक जाती है
पुत्र विवाह, पुत्र रत्न पाकर प्रतिष्ठा बढ़ जाती है
औरों के काम आये कोई अपार खुशियां पाता है
हर्ष आनंद से भरकर लोचन अश्रु से भर जाता है
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )