तुम अजीज हो

तुम अजीज हो | Ghazal Tum Aziz ho

तुम अजीज हो

( Tum aziz ho )

 

 

तुम अजीज हो खास हमारे एहसास हो गया
दूर होकर भी हो पास हमारे  विश्वास हो गया

 

अल्फाज आपके दिला देते हैं एहसास आपका
शब्दों का जादू ऐसा की मन का उजास हो गया

 

यह फासले यह दूरियां अब बाधक नहीं है यार
मिलना तुमने चाहा तो हमें एहसास हो गया

 

कह दो तमन्ना अपने दिल की खुलकर मेरे यार
कह ना सकोगे तुम मगर दोस्त उदास हो गया

 

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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