आत्मनिर्भर भारत!
( Aatmanirbhar Bharat )
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भारत के लोग अब,
सचमुच आत्मनिर्भर हो गए हैं,
अपार कष्ट सहकर भी-
सरकारों से छोड़ दिए हैं आशा,
मन में उपजी है उनकी घोर निराशा।
सब सह लेते हैं,
पर मुंह नहीं खोलते हैं।
ना कोई विरोध प्रदर्शन-
ना ही कोई धरना,
जबकि लोकतंत्र में होता है,
विरोधी स्वर ही गहना।
भारतीयों की इस सहनशीलता का क्या कहना?
जो सरकार चुनी थी-
उसने ही तो यह हाल किया है,
धरातल पर कुछ नहीं-
टीवी पर कमाल किया, कमाल किया है…
गूंजती है आवाज़,
युवाओं को नहीं कामकाज।
बीवी घर में राशन ढ़ूंढ़ती है,
मिलता नहीं है!
चुपचाप पानी पीकर सो जाती है।
इतना आत्मनिर्भर हुए हैं सब,
सरकारें बांट कर हमको चिढ़ा रहीं हैं अब।
बांट दिया है जर्रा जर्रा
बंट गए पत्ती और बूटा,
सरकारों ने हमको खूब लूटा;
बांट दिया है ईश्वर को,
बांट दिया है अल्ल्लाह को!
कुछ भी नहीं है छूटा।
विरोध करो तो ऐसा कुछ करते हैं,
सीधे पाकिस्तान भेजने को कहते हैं।
बाढ़ सुखाड़ महामारी में पीड़ित अब
खाट पर अस्पताल जा रहे हैं,
सचमुच आत्मनिर्भर भारत का
दृश्य दिखा रहे हैं।
न मवेशियों का पता है!
न बचा है खेत खलिहान?
सड़कों पर दिन रात बिता रहे
वहीं हो रहा विहान ।
चौतरफा मार झेल रहे किसान,
लेकिन सीबीआई जांच में आगे है सुशांत?
सबका मन भीतर ही भीतर है अशांत।
सरकारें आंखें बंद कर बांसुरी बजा रही हैं,
तान पर तान दिए जा रहीं हैं।
नहीं हो रहा कुछ भी अच्छा,
बैंक बंद हो रहे, रूपया गिर रहा?
फिर भी बने हैं सब आंख का अंधा,
खाए जा रहे गच्चे पर गच्चा ।
कष्ट सहकर भी,
बाढ़ में डूब कर भी?
नहीं डूबा है तो केवल भारतीयों का हौसला,
आगे देखें चुनावों में क्या होता है फैसला?
यह तो आने वाला समय ही बताएगा,
तब तक भारत पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर हो जाएगा !
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लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।