ख्वाब की ताबीर हो तुम

( Khwab ki tabeer ho tum ) 

 

खुदा की लिखी कोई तहरीर तुम हो
या किसी भूले ख्वाब की ताबीर हो तुम

तस्सव्वुर में आये किसी ख्याल की तदबीर हो
या तकाज़ा मेरी तकदीर का हो तुम

मेरी किसी तमन्ना की जैसे तासीर तुम हो
या दिल में बसी कोई पुरानी तस्वीर हो तुम

तलब़ भी है तुम से, तकरार भी हो तुम
तौफ़ीक भी तुम ,जीने की वज़ह भी हो तुम

तक़वा है कुछ, और कुछ तूफान से है डर
वरना तक्सीर कर कुछ ऐसा, तर’दमान हो जायें हम.

 

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

यह भी पढ़ें :-

तुम कहो तो | Tum Kaho to

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here