Khwabon Mein
Khwabon Mein

ख़्वाबों में आया करो

( Khwabon mein ) 

 

रात बीते तू ख्वाबों में आया करो,
आके देखो सनम फिर न जाया करो।
रुत जवानी की टिकती नहीं ये कहीं,
नित्य जलवा तू आके दिखाया करो।

आशिकी की परत बूढ़ी होती नहीं,
अनछुआ वो बदन न छुआया करो।
आग उंगली के पोरों तक सुलगे नहीं,
कुंवारे लम्हों से मुझको बचाया करो।

हो गई है मोहब्बत ये दिल क्या करे,
मेरी आबो-हवा में भी आया करो।
मेरे अश्कों के छींटे न तुझपे पडें,
जाम आँखों से मुझको पिलाया करो।

मेरी राहों में काँटों का जंगल बहुत,
राह गुल में मेरी तू बिछाया करो।
वक़्त कटता नहीं तेरे आए बगैर,
रोज जुल्फों में मुझको सुलाया करो।

उग गई है फसल कुछ बदन पे तेरे,
ख्वाहिशों को कभी न दबाया करो।
मन की शाखों पे छाए न देखो खिंजाँ,
रूठ जाऊँ तो आके मनाया करो।

इश्क की कोई सरहद तो होती नहीं,
तू फलक से जमीं पे तो आया करो।
रंग-ओ-खुशबू जो उठती बदन से तेरे,
खाक होने से मुझको बचाया करो।

भूखी -प्यासी उमर है सुनों तो जरा,
अपनी तीर-ए-नजर न चलाया करो।
चाँदनी-सा -बदन तेरा छिपता नहीं,
रख के होंठों को फिर न हटाया करो।

 

Ramakesh

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )

 

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