ख्वाहिश | Prem wali shayari
ख्वाहिश
( Khwahish )
काश तुम मेरी सर्दियों की अदरक वाली चाय हो जाओ
और मैं तुम्हारी सुबह का पहला अखबार हो जाऊँ
काश तुम मेरी ओस की बूँदें हो जाओ
और मैं तुम्हारी कोहरे की फुहार हो जाऊँ
काश तुम मेरी सुर्ख़ रंग गुलाबी हो जाओ
और मैं तुम्हारे ग़ुलाबों की बौछार हो जाऊँ
काश तुम मेरा आईना हो जाओ
और मैं तुम्हारा दीदार हो जाऊँ
काश तुम मेरी लत हो जाओ
और मैं तुम्हारा ख़ुमार हो जाऊँ
काश तुम मेरी नींद हो जाओ
और मैं तुम्हारा करार हो जाऊँ
काश तुम मेरी उम्मीद हो जाओ
और मैं तुम्हारा इंतज़ार हो जाऊँ
काश तुम मेरी कलम हो जाओ
और मैं तुम्हारा कलमकार हो जाऊँ
काश तुम मेरी इनकार हो जाओ
और मैं तुम्हारा इज़हार हो जाऊँ
काश तुम मेरी घड़ी की टिक टिक हो जाओ
और मैं तुम्हारी पायल की झनकार हो जाऊँ
काश तुम मेरे सावन का महीना हो जाओ
और मैं तुम्हारी बरसात की बौछार हो जाऊँ
काश तुम मेरी बेशकीमती हो जाओ
और मैं तुम्हारा बेशुमार हो जाऊँ
काश तुम मेरी सजा हो जाओ
और मैं तुम्हारा गुनहगार हो जाऊँ
काश तुम मेरा प्यार हो जाओ
और मैं तुम्हारा प्यार हो जाऊँ
Wah bhai kya khub likha h