बदले की कहानी किसलिए
बदले की कहानी किसलिए
( Badle ki Kahani Kisliye )
वक़्त दुहराता है बदले की कहानी किसलिए
दिल दुखायें जो वो बातें दिल में लानी किसलिए
ज़ुल्म ढ़ाकर मेरे दिल पर रो रहे हैं आप क्यों,
मेरे बंजर दिल पे आख़िर मेहरबानी किसलिये ।
जब मुकम्मल ही नहीं होने ये किस्से इश्क़ के
फिर शुरू मैं भी करूँ कोई कहानी किस लिए
चार दिन की ज़िंदगी है सबकी जब दुनिया में तो
ढो रहे हैं सब दुखों की सरगिरानी किस लिए
बनते हो फ़रहाद तो दो बोल मीठे भी कहो
प्यार है गर दिल में तो फिर बदज़ुबानी किस लिए
है सभी का एक मालिक कर्मों से दे तौल कर
जो दिया उसने दिया फिर बदगुमानी किस लिए
माँ का आँचल मिल न पाया एक मुद्दत से मुझे
फिर भला ठहरे मेरी आँखों में पानी किस लिए
मानते हो जब मुझे तुम अपना हमसर ऐ सनम
फिर भला करते हो मुझ पर ह़ुक्मरानी किस लिए।
जब किसी का प्यार ही अपने मुक़द्दर में नहीं
देखना फिर ख़्वाब मीना आसमानी किसलिए
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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