कुछ दिन पहले
कुछ दिन पहले

कुछ दिन पहले

 

 

कुछ दिन पहले

मैं आकर्षित हो गया था

उसके गौर वर्ण पर

उसके मदहोश करते लफ़्ज़ों पर

उसके उभरे उरोजों पर……

 

उसने कहा था-

 

तुम भी मुझे अच्छे लगते हो

मैं जुड़ तो सकती हूं

पर……

कैसे तेरे साथ आ सकती हूं.?

शंकाओं ने घेरा हुआ है

आऊँ या ना आऊँ…..!

 

मगर….

 

मैं तो मन से जुड़ गया था

उसके एहसासों से

उसके संग

लेकिन…..

उसने शिगूफे की बात की

और विलीन कर दिए

मेरे सारे अरमान……..!

 

?

कवि : सन्दीप चौबारा

( फतेहाबाद)

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