तुम जो यूं नज़रें मिला रहे हो
तुम जो यूं नज़रें मिला रहे हो
तुम जो यूं नज़रें मिला रहे हो।
जिगर पे नश्तर चला रहे हो।।
जो जैसा है वैसा ही रहेगा।
क्यों अपने दिल को जला रहे हो।।
बहुत है अहसान ये तुम्हारा ।
नज़र से जो मय पिला रहे हो।।
हरेक पल तुम यूँ मुस्कुराकर ।
खिजां में भी गुल खिला रहे हो।।
‘कुमार’ ख़ुश हूँ मैं तन्हा यूँ ही।
क्यों पास मुझको बुला रहे हो।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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