कुछ तो बोलो

( Kuch to bolo )

 

किसी ने कहा सनातन को खत्म करना है
हम सभी चुप रहे
किसी ने कहा राम काल्पनिक हैं
हम सभी चुप रहे
किसी ने कहा काफिरों को जीने का हक नही
हम सभी तब भी चुप रहे

आखिर क्या हो गया है तुम्हे
खून ही तुम्हारा पानी हो गया है
या…खून ही बदल गया है !
कुछ तो बोलो!?

कहते हो हम सनातनी हिंदू हैं
मानव जाति के ही केंद्र बिंदु हैं
विश्व की धरा पर हम ही सिंधु हैं

तब,इतना भी मरा स्वाभिमान कैसे
सहन होता इतना भी अपमान कैसे
इतना..बेचखाए भीतर के इंसान को कैसे
कुछ तो बोलो!?

नही सुरक्षित घूम सकें बहन बेटियां
कलुषित मन वाले सेंक रहे हैं रोटियां
लगता मानो गिद्ध नोच रहे हों बोटियां

इतनी भी मरी कैसे शाख तुम्हारी
जलकर भी सिसक रही है राख तुम्हारी
पूर्वजों की चिता मे लग रही आग तुम्हारी
कुछ तो बोलो!?
क्यों दफन हुई इतनी आग तुम्हारी
कुछ तो बोलो
कुछ तो बोलो!!!??

 

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

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