शेरो-शायरीGhazal | क्या खता थी नजर मिलाना था March 10, 20218210ShareWhatsAppReddItFacebookTwitterPinterestTelegramViber क्या खता थी नजर मिलाना थाक्या खता थी नजर मिलाना था( Kya Khata Thi Nazer Milana Tha ) क्या ख़ता थी नजर मिलाना था, लेके खंजर खड़ा ज़माना था।। हादशा हुआ तो हुआ कैसे, कुछ ही लोगों का आना जाना था।। मैं ही खुशबू हूं उनके गुलशन की, उनका हरदम यही बहाना था।। बहुत सम्भाला मगर टूट गया, वो जो रिश्ता बहुत पुराना था।। जला के दीप कौन चला गया, आज तूफान भी तो आना था।। प्यार से देखा और कुछ न कहा, शेष ये वार कातिलाना था।।कवि व शायर: शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”प्रा०वि०-नक्कूपुर, वि०खं०-छानबे, जनपदमीरजापुर ( उत्तर प्रदेश )यह भी पढ़ें :Ghazal || न जाने कौन सी बीमारी हैRELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR शेरो-शायरीबिना तेरे | Nagma Bin Tere शेरो-शायरीकुमार अहमदाबादी की रुबाइयाँ | Rubaiyat of Kumar Ahmadabadi शेरो-शायरीहर लम्हा | Nazm Har LamhaLEAVE A REPLY Cancel replyPlease enter your comment! Please enter your name here You have entered an incorrect email address!Please enter your email address here Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ